शिलाई (एमबीएम न्यूज) : हमारा प्रयास रहता है, ऐसे परिवारों के संघर्ष को आपसे साझा किया जाए, जो गरीबी की गुरबत के बावजूद बच्चों के लालन-पोषण व शिक्षा के लिए संघर्ष करते हैं। ऐसी ही एक मिसाल पनोग में दिहाड़ीदार मजदूर विलम सिंह ने पेश की है। खुद दिन-रात शिमला के रोहडू क्षेत्र में दिहाड़ी करते रहे, ताकि बेटे की निजी शिक्षण संस्थान में बी टेक का खर्चा उठाया जा सके।
23 वर्षीय रवि ठाकुर ने भी अपने पिता के इस संघर्ष को बखूबी भांप लिया था, लिहाजा अपना लक्ष्य निर्धारित कर लिया था। शनिवार को हिमाचल प्रदेश कर्मचारी चयन आयोग ने उन 67 उम्मीदवारों की सूची जारी की, जो जेई बनने में कामयाब रहे। उनमें विलम सिंह का बेटा रवि भी शामिल था।
21 मई 1993 को जन्मा रवि अब चाहता है कि दो छोटे भाई भी पढ़-लिख कर अफसर बने। जहां पिता विलम सिंह, रोहडू में मजदूरी करते थे, वहीं मां सत्या देवी छोटे बेटों का लालन-पोषण करने में लगी हुई थी, क्योंकि रवि अपनी बीटेक की पढ़ाई सोलन के एलआर संस्थान में कर रहा था। अपनी सफलता का श्रेय रवि अपने माता-पिता के अलावा उन गुरुओं को देता है, जिन्होंने उसका मार्गदर्शन किया।