राकेश कुमार / सोलन: पानी जीवन के लिए एक आवयश्क तत्व माना जाता है । शुद्ध पानी जहां व्यक्ति को स्वस्थ्य बनाता है वहीं मनुष्य को अस्सी फीसदी बीमारी प्रदूषित पानी के प्रयोग से होती है । शुद्ध पानी की व्यवस्था सरकार व प्रशासन का दायित्व है । पानी प्रदुषित करना एक अपराध है लेकिन जब शिक्षा से जुड़े लोग ही पानी प्रदुषित करने में जुटे हों तो फिर आप क्या कहेंगे । सोलन जिला के ओच्छघाट क्षेत्र शिक्षा हब्ब के रूप में जाना जाने लगा है । शिक्षा देने वाले संस्थान से लेकर यहां पर लगे उद्योग यहां के पानी को प्रदुषित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहें हैं । पिछले कई वर्षों से पानी में सीवरेज छोड़ रहें संस्थानों ने पानी प्रदूषित किया लेकिन सिंचाई एवं जनस्वास्थ्य विभाग लोगों को प्रदूषित पानी ही पिलाता रहा । जिससे यहां रहने वाले लोगों को पीलिया ,हैजा,डायरियां खांसी जुकाम जैसी अनगिनत बीमारियां लगने लगी है । यहां के लोग शिक्षा संस्थान आने से प्रसन्न हैं वहीं शिक्षण संस्थान द्वारा उनके पानी को प्रदुषित किए जाने से दुःखी भी । गलियाणा उठाऊ पेयजल योजना में प्रथम चरण 1995 में आरंभ की गई थी जो अब जल प्रदूषण के कारण बंद कर दी गई है । योजना से तीन लाख लीटर पानी उठाया जाता था प्रदूषण के कारण पहले दो लाख तक पहुंचा व अब पूर्ण रूप से बंद करना पड़ा है । उल्लेखनीय है कि सोलन जिला में स्थित डेंटल कॉलेज,एल आर संस्थान व शूलिनी विश्वविद्यालय सहित बेस नाम की बैटरी बनाने वाली कंपनी भी इसी क्षेत्र में लगाई गई है। इन संस्थानों से सीवरेज का गंदा पानी खुलेआम खड्ड में छोड़ा जा रहा है । जिससे यहां चलाई जा रही जल योजनाएं ठप्प हो गई है । पिछले 15 दिनों से जब यहां के लोग पीलिया ,हैजा,डायरियां खांसी जुकाम जैसी अनगिनत बीमारियां बीमारियों से ग्रस्ति हुए तो उन्होनें प्रशासन से शिकायत की । बजाए कोई समुचित कदम उठाते लालफीता शाही ने यहां भी काम किया व प्रदूषण विभाग ने इन संस्थानों को नोटिस थमा कर अपने कार्य की इतिश्री कर चल दिए । प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड वैसे तो 24 घण्टे में प्रदूषण फैलाने वाले संस्थान की बिजली पानी बंद करने की बात कहता है लेकिन यहां वर्षों से प्रदूषण फैलाने वालों के खिलाफ कार्यवाही के मापदण्ड स्पष्ट दिखाई दे रहे हैं । यह संस्थान पिछले आठ से दस वर्षों से सीवरेज का पानी स्थानीय खड्डों में छोड़ रहे हैं लेकिन न तो प्रदूषण विभाग और न ही सिचंाई एवं जनस्वास्थ्य विभागा को पता ही अब चल पाया जिससे प्रशासन के शुद्ध पानी पिलाने के दावे हवा होते दिखाई दे रहे हैं। उधर सिंचाई एवं जनस्वास्थ्य विभाग लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ किये जाने से तब एकदम चिंितत हुआ व उसने प्रदूषित पानी लोगों को नहीं देने की सोची । अब लोग एक ओर बीमारियों का सामना कर रहे हैं तो दूसरी ओर पानी के लिए त्राहि त्राहि मची हुई है । लेकिन इन संस्थानों के पास न तो पानी की कमी न ही संस्थानों ने सीवरेज रोकने की अभी तक जहमत उठायी है । उधर एक अन्य संस्थान शूलिनी विश्वविद्यालय के सीवरेज खड्ड से हटाने को कहा गया तो उन्होंने वहां से काम पाईप हटा कर कुछ दूरी पर खुले में फिर काम चलाऊ सीवरेज का पाईप रस्सी से बांध कर खोल दिया जिससे लगभग तीन किलोमीटर दूरी पर स्थित दूरी पेयजल योजना भी प्रदूषित होने का खतरा बढ़ गया है । प्रदूषित जल एवं सीवरेज के कारण सिंचाई एवं जनस्वास्थ्य विभाग की योजना पूरी तरह से ठप्प हो गई है । योजना का एक हिस्सा बेस नामक कंपनी के प्रदूषित पानी के कारण पहले की बंद कर दिया गया था । गलियाणा उठाऊ पेयजल योजना में प्रथम चरण पानी सप्लाई बंद होने से इस क्षेत्र की सात पंचायतों के 35 गावों के लगभग 8000 लोग 15 दिनों से लोग प्यासे हैं । सिंचाई एवं जनस्वास्थ्य विभाग की कहें तो उनका कहना है कि उनके पास सिवा प्रशासन एवं प्रदूषण विभाग को सूचना देने के अलावा कोई शक्ति नहीं है जिससे वे पानी प्रदूषित करने वालों के खिलाफ कार्यवाही कर सके । हैरानी का विषय यह भी है कि पिछले कई वर्षों से इन संस्थानों व उद्योग से निकाला प्रदूषित जल एवं सीवरेज का पानी में जा रहा था तो
सिचंाई एवं जनस्वास्थ्य विभाग कहां था । अब जब समस्या लोगों ने उठाई तो उन्हें पानी के लिए भी मोहताज होना पड़ रहा है । सिचंाई एवं जनस्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारी का कहना है कि पानी लोगों को दिया जा रहा है लेकिन उनसे बात करने के बाद जब लोगों से गांव में जाकर संपर्क किया गया तो लोगों का कहना था कि पानी उन्हें दिया ही नहीं गया। स्थानीय लोगों ने अपनी समस्या बताते हुए कहा कि उन्हें शुद्ध पानी उपलब्घ करवाया जाए व पानी प्रदूषित करने वाले संस्थानों के खिलाफ कार्यवाही की जाए । उधर जब प्रदूषण फैलाने वाले संस्थानों से संपर्क किया गया तो संस्थान के अधिकारियों ने किसी तरह की टिप्पणी करने से इन्कार कर दिया । हांलाकि सिचंाई एवं जनस्वास्थ्य विभाग के पंप ओपरेटर रवि कुमार भी मान रहे हैं कि यहां के संस्थानो के सीवरेज से पानी प्रदूषित हो रहा है । इसी कारण पहले एक जगह से पानी बंद किया तो अब पूरी उठाऊ पेयजल योजना ही बंद करनी पड़ी । पूरे प्रकरण में सिंचाई एंव जनस्वास्थ्य विभाग के अधिशासी अभियंता चौहान ने कहा कि उनके संज्ञान में मामला आने के बाद उन्होनें प्रशासन प्रदूषण विभाग को कार्यवाही के लिए सूचित कर दिया है । उन्होनें कहा कि पानी व्यवस्था सुव्यवस्थित की जा रही है ।
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