नाहन (शैलेंद्र कालरा): शिलाई उपमंडल में एक अनूठी शुरूआत की गई है। दरअसल इस क्षेत्र से बेटियों की कथित तस्करी के मामले उजागर होते रहे हैं, लेकिन यह कोई नहीं बता सकता कि कितनी बेटियां क्षेत्र से बाहरी राज्यों में शादी या फिर अन्य तरीकों से ले जाई गई हैं। अब शिलाई प्रशासन ने इस पर तिरछी नजरें डाल दी हैं।
पंचायत स्तर पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के माध्यम से दो सप्ताह के भीतर ऐसा रिकॉर्ड तैयार करने का फैसला लिया गया है, जिससे यह पता चल सके कि कितनी बेटियों की शादी हुई या फिर उन्हें अन्य तरीकों से बाहरी राज्यों तक पहुंचा दिया गया। इसके अलावा इस बात का भी आंकड़ा खंगाला जाएगा कि कितनी बेटियां अपने परित्याग के बाद बच्चों समेत मायके लौट आई।
सूत्रों का कहना है कि हालांकि हरेक जाति से संबंधित पीडि़त हो सकती हैं, लेकिन बड़ी संख्या दलितों की है, जिन्हें कथित तौर पर तस्करी करने के बाद बाहरी राज्यों में पहुंचा दिया जाता है। इस तरह के सर्वे का सबसे बेहतरीन टूल आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को ही माना गया है। हाल ही में भी एक नाबालिग को हिमाचल के बिलासपुर से बरामद किया गया था, जहां उसके रिश्तेदार ने ही बच्ची का कथित सौदा कर दिया था। ऐसा भी नहीं है कि सही तरीके से शादियां नहीं होती।
पड़ोसी राज्यों में लिंगानुपात कम होने के कारण गरीब परिवारों की बेटियों को दुल्हन बनाने के लिए ढूंढा जाता है। जहां तक इस उपमंडल में लिंगानुपात का सवाल है तो यहां प्रति हजार पर 936 बेटियां हैं। शुक्रवार को शिलाई में बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान के तहत सात सूत्रीय कार्यक्रम का आगाज हुआ। इसी दौरान सर्वे पर भी सैद्धांतिक मंजूरी तमाम प्रतिनिधियों ने दे दी।
इस बारे पूछे जाने पर शिलाई के एसडीएम विकास शुक्ला ने कहा कि पंचायतों ने इस फैसले का स्वागत किया है। साथ ही सहयोग का आश्वासन भी लिया है। एसडीएम के मुताबिक जल्द ही संख्या को लेकर आंकड़ा तैयार कर लिया जाएगा।