मंडी (वी.कुमार) : अपने ही बनाए नियमों को ताक में रख कर उनकी धज्जियां उड़ाने की ताजा मिसाल है बाल कल्याण परिषद द्वारा प्रदेश भर में चलाए जा रहे कामकाजी महिला होस्टल । मंडी, शिमला, ठियोग, चंबा व नाहन में ये कामकाजी महिला हॉस्टल बनाए गए हैं। मकसद यही था कि बाहर से आने वाली नौकरी पेशा महिलाओं को आवास के लिए जहां तहां न भटकना पड़े और उन्हें एक सुरक्षित ठिकाना रहने के लिए मिल जाए। बाल कल्याण परिषद जो एक स्वायत संस्था है द्वारा इनका निर्माण किया गया था।
हैरानी यह है कि यह सब उस स्थिति में भी हो रहा है जब इनका संचालन करने वाली संस्था बाल कल्याण समिति के संरक्षक राज्यपाल हैं और इसके अध्यक्ष मुख्यमंत्री हैं। परिषद की ओर से इन हॉस्टलों का निर्माण केवल कामकाजी महिलाओं के लिए किया गया है और नियमों के अनुसार इन्हें न तो किसी व्यावसायिक तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है और न इसमें पुरूषों के प्रयोग के लिए ही लाया जा सकता है।
मंडी में यह हॉस्टल शहर के जेल रोड़ में है और हैरानी यह है कि शहर में बाहर से आने वाली कामकाजी महिलाएं आवास के लिए मारी मारी फिर रही है और यह हॉस्टल मार्च महीने से खाली पड़ा हुआ है। इसमें 50 से 60 कामकाजी महिलाओं के ठहरने की व्यवस्था है और अन्य सभी तरह की सुविधाएं भी इसमें है। इसे 6 साल पहले आइआइटी मंडी को दे दिया गया था और उसमें भी सभी नियमों को ताक में रखा गया था। जहां से हर महीने इसका लगभग 55 हजार रुपए किराया वसूली भी की गई और इसमें लडक़ों को ठहराया जाता रहा। अब मार्च महीने से यह खाली पड़ा है महज एक चौकीदार यहां पर रहता है और इसका बिजली पानी का बिल आ रहा है मगर परिषद को इस बात की कोई चिंता नहीं है कि इसे कामकाजी महिलाओं के लिए अलाट किया जाए।
सूत्र बताते हैं कि परिषद की ओर से सभी हॉस्टलों के मामले में गंभीर कोताही बरती जा रही है जो नियम कायदों के विपरीत है। नाहन व चंबा में कल्याण अधिकारी का कार्यालय इसमें चलाया जा रहा है तो मंडी में यह बंद पड़ा है। सूत्रों के अनुसार आइआइटी मंडी को यह हॉस्टल लडक़ों के लिए दिया गया था उसका कोई अनुबंध भी विधिवत नहीं किया गया था। ऐसे में जो 6 साल का किराया कई लाख रुपए लिया गया उसका क्या प्रयोग हुआ यह भी एक बड़ा सवाल खड़ा हुआ है। इस सारे प्रकरण की जांच की मांग भी उठ रही है।
नाहन में तो आजतक इसमें महिलाओं के लिए चलाया ही नहीं गया। ठियोग में इसे महिलाओं के प्रशिक्षण केंद्र के रूप में चलाया जा रहा है। केवल शिमला में ही यह कामकाजी महिलाओं के लिए चल रहा है। अब इस बारे में कुछ स्वयंसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधि राज्यपाल को सारी स्थिति से अवगत करवाने की योजना बना रहे हैं।
इस बारे सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग की निदेशक मानसी सहाय ठाकुर ने कहा कि इस बारे में जल्द कोई कदम उठाया जाएगा। जहां तक किराया लेकर उसके उपयोग की बात है तो इसकी जांच की जाएगी। बाल कल्याण परिषद की महासचिव राज कुमारी सोनी ने बताया कि दो तीन दिन में इस हॉस्टल का निरीक्षण किया जा रहा है और फिर इसे जल्दी ही चालू करने की कोशिश की जाएगी। उन्होंने कहा कि पैसे का ज्यादा तक मसला है इसका आडिट होगा और यदि इसमें कोई गलती पाई जाती है तो नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।