राजगढ़ (एसजे चौहान) : पर्यावरण संरक्षण को लेकर बड़े-बड़े दावें किए जाते हैं। लेकिन कुछ लोग ऐसे होते हैं, जो इतना कुछ करते हैं जो मिसाल कायम हो जाती है। मगर सामने नहीं आ पाते। यहां एमबीएम न्यूज ने वन विभाग में एक ऐसे अधिकारी को ढूंढ निकाला है, जो वास्तव में पर्यावरण प्रेमी है। वन खंड अधिकारी अश्विनी कुमार, जहां भी तैनात हुए वहीं देवदार का जंगल तैयार कर दिया।
मूलत: राजगढ़ के जुब्बल के रहने वाले अश्विनी कुमार को विभाग के लोग इस तरह के अनूठे कार्य पर सलाम ठोकते हैं। विश्वास कीजिए कि वन विभाग के अश्विनी कुमार ने अब तक देवदार के दर्जनों जंगल तैयार किए हैं। राजगढ़ क्षेत्र में देवदार के जंगल उगाने का सिलसिला कनोग गांव के नैनसिंह वर्मा ने आरंभ किया था, जिसे वन खंड अधिकारी अश्विनी कुमार ने आगे बढाय़ा है। अपने गांव जुब्बल में सबसे बड़ा लगभग 500-700 देवादर के पेड़ों का जंगल खड़ा कर दिया है।
इसके अलावा भाणत, बोहल, कुंडिया-कड़ंग, भल्जा-भोडी, चुरवाधार इत्यादि में भी देवदार के जंगल दिखाई देते हैं जो उनके हाथों से लगे हैं। हालांकि सभी वन कर्मचारी प्लांटेशन करते हैं परंतु वे ब्रॉड लीव अथवा आयातित पौधों की ओर अधिक ध्यान देते हैं, लेकिन अश्विनी देवदार के जंगल उगाने पर ही अधिक जोर देते हैं। उनके अपने गांव का देवदार जंगल लगभग 30 वर्ष का हो चुका है और आसपास के गांवों में चर्चा का विषय बना हुआ है।
सरकार को चाहिए कि ऐसे कर्मठ एवं विशेषज्ञ कर्मचारियों को देवदार उगाने की मुहिम में शामिल कर प्रदेश में देवदार के जंगलों को विस्तार देना चाहिए।
ये होती है देवदार के जंगल की खासियत
पर्यावरण को दूषित होने से बचाने में देवदार के जंगलों की प्रमुख भूमिका रही है। ये जंगल जहां ऑक्सीजन का प्रचुर मात्रा में उत्सर्जन करते हैं वहीं हर समय हरियाली को बनाये रखते हैं क्योंकि इसकी पुरानी पत्तियां तब तक नहीं झड़तीं, जब तक नई पत्तियां नहीं आ जाती। इस प्रकार देवदार को हम सदाबहार पेड़ भी कह सकते हैं। इन दोनों विशेषताओं के अलावा एक और बहुत बड़ा गुण भी देवदार के पेड़ों के साथ जुड़ा हुआ है। ये जहां भी होते हैं ठंडक पैदा करते हैं।
एक अनुमान के अनुसार देवदार के पेड़, अन्य जगह की तुलना में, स्थानीय वातावरण में कम से कम 5-7 डिग्री अधिक ठंडक पैदा करते हैं। प्रत्यक्ष को प्रमाण की जरूरत नहीं होती को चरितार्थ करते हुए, फागू के एक देवदारप्रेमी के घर पर इतनी गर्मी पड़ती थी कि घड़ों में रखा पानी सील गर्म हो जाता था परन्तु जब से देवदार के पेड़ लगाए हैं, तब से कभी-कभी गर्मियों में भी स्वैटर पहनने की जरूरत पड़ जाती है।