मंडी (वी.कुमार) : एक सवाल, अक्सर विभाग उस वक्त ही क्यों जागता है जब किसी ऐतिहासिक धरोहर की हालत जर्जर हो जाती है। बात हो रही है मंडी जिला मुख्यालय से 18 किलोमीटर दूर पंडोह बाजार के ऐतिहासिक लाल पुल की। पुल की हालत जर्जर हो चुकी है और विभाग की अभी तक डीपीआर ही मंजूर नहीं हो सकी है।
उफनती ब्यास नदी पर पंडोह बाजार के पास लाल पुल बना है । वर्ष 1923 में इस पुल का निर्माण अंग्रेजी हकूमत ने करवाया था। इस पुल को शुरू से ही लाल रंग में रंगा गया जिसके चलते इसका नाम लाल पुल पड़ गया। पुल का निर्माण पूरी तरह से लोहे से किया गया है और इसमें लगाये गये लोहे की हालत बताने के लिए तस्वीरें ही काफी हैं। पुल में लगाया गया लोहा जंग खाने के साथ ही टूट भी चुका है। इस पुल से 5 टन से अधिक भार वाले वाहनों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया गया है लेकिन यह प्रतिबंध सिर्फ साईन बोर्ड तक ही सीमित है जबकि इसका पालन कोई नहीं करता। बता दें कि पंडोह बाजार को द्रंग विधानसभा क्षेत्र के हिस्से से जोड़ने का कार्य सिर्फ यही पुल करता है। शिवाबदार इलाके की आधा दर्जन पंचायतों के हजारों लोग इसी पुल से होकर जिला मुख्यालय पहुंचते हैं, लेकिन बावजूद इसके इसकी दशा को सुधारने में लेट लतीफी की जा रही है जिसके कारण पुल की हालत दिनों दिन खस्ता होती जा रही है।
वहीं जब इस बारे में लोेक निर्माण विभाग के अधिशाषी अभियंता ई. पीएस ठाकुर से बात की गई तो उन्होंने बताया कि पुल के मुरम्मत कार्य की डीपीआर बनाकर अधीक्षण अभियंता को सौंप दी गई है और अब मंजूरी का इंतजार किया जा रहा है। पुल की मुरम्मत पर करीब 20 लाख रूपये की राशि को खर्च किया जायेगा।
कभी एक समय में मंडी को कुल्लू-मनाली से जोड़ने का कार्य यही पुल करता था, लेकिन पंडोह के पास डैम के उपर से बनी सड़क के बाद से इस पुल की देखरेख राम भरोसे छोड़ दी गई। यही कारण है कि आज यह पुल अपनी बदहाली पर आंसू बहाने को मजबूर है।