नाहन, 13 मार्च : “जीवन जीने के लिए हमें स्वाभिमानी बनना चाहिए अभिमानी नहीं” इस तथ्य पर अडिग शहर का जाना माना चेहरा जगदीश मंगलवार को अपनी सांसारिक यात्रा पूरी कर पंचतत्व में विलीन हो गया। लेकिन विपरीत परिस्थितियों में स्वाभिमान के साथ जीने की मिसाल छोड़ गया।
हम बात कर रहे हैं नाहन शहर के जगदीश की, जिसे अक्सर आपने दिल्ली गेट के समीप छोटा सा बूट पोलिश का बक्सा उठाए देखा होगा। छोटे कद का डरपोक दिखने वाला ये शख्स बचपन से दिमागी विकलांगता से पीड़ित था। विकास संबंधी रोग ऑटिस्म से ग्रसित था। हालांकि विचारों को व्यक्त नहीं कर पाता था, लेकिन स्वाभिमान कूट-कूट कर भरा हुआ था। यही वजह थी कि उसने कभी किसी के सामने हाथ नहीं फैलाया। बूट पोलिश कर अपना गुजर बसर करता रहा।
मौजूदा उम्रदराज होने के बाद जगदीश का शरीर उसके साथ नहीं था, लेकिन तब भी उसने मेहनत करके कमाना नहीं छोड़ा। इससे इसकी खुद्दारी भी जिंदा रहती थी और दयावान पुरुष अपने उद्देश्य में भी सफल हो जाता था। जैसे-जैसे उम्र बढ़ती जा रही थी अब वह बूट पोलिश करने में भी नाकाम हो रहा था। जगदीश अब गलियों व सड़कों पर इस उम्मीद से घूमता था कि शायद कोई उसकी मदद कर दें, लेकिन किसी के आगे कभी हाथ नहीं फैलाये। हालांकि जगदीश को 20 कदम चलने में भी अब 20 मिनट का समय लगता था।
मंगलवार सुबह करीब 10 बजे जगदीश का निधन हो गया था। जिसके बाद दोपहर को उसका अंतिम संस्कार किया गया। जगदीश जाते-जाते शहरवासियों को यह संदेश दे गया कि परिस्थितियां चाहे जैसी भी हो कोशिश की जाए तो स्वाभिमानी बनकर भी जीवन जिया जा सकता है। ईश्वर जगदीश को अपने चरणों में स्थान दे।