नाहन,12 मार्च: हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जनपद के गिरिपार क्षेत्र से एक वीडियो सामने आया है। इसमें एक शख्स खुलासा कर रहा है कि आटे की थैली में मरा हुआ चूहा निकला है। लिहाजा, मामला बेहद संवेदनशील बन गया। आटे की थैली पर एक्सपायरी तिथि से भी छेड़छाड़ का आरोप लग रहा है।
एमबीएम न्यूज नेटवर्क ने वीडियो को गंभीर मानते हुए फैक्ट चेक किया तो वीडियो के सही होने की तस्दीक तो हो गई, लेकिन यह बात सही नहीं थी कि ये सरकारी राशन डिपुओं में सप्लाई वाला आटा था। पड़ताल में पता चला कि कालाअंब के एक आटा उद्योग से आटे की थैली पैक हुई थी। रूटीन में इसकी सप्लाई शिलाई क्षेत्र में कर दी गई, वहां से ओपन मार्किट के ये खेप अलग-अलग दुकानों व डिपुओं में भेज दी गई। शिलाई के एक दुकानदार ने रविवार को 35 किलोग्राम के दो कट्टे बेच दिए।
ग्राहक ने कुछ घंटों बाद आटे के एक बैग में मरा हुआ चूहा निकलने की शिकायत दुकानदार को दर्ज करवाई। दुकानदार ने तुरंत ही आटे के बैग को बदल दिया। साथ ही संभावित संक्रमित आटे को फेंक दिया। लिहाजा, प्रयोगशाला में सैंपल नहीं भेजा जा सकता है। फैक्ट चेक में ये खुलासा हुआ कि इस मामले को लेकर कोई शिकायत नहीं दर्ज करवाई गई, क्योंकि कठोर कार्रवाई की उम्मीद नहीं होती है।
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बेशक ही शिकायत नहीं हुई, लेकिन खाद्य आपूर्ति निगम के साथ-साथ फ़ूड सेफ्टी एंड रेगुलेशन को इलाके में सप्लाई हो रही खाद्य सामग्री की सैंपलिंग व्यापक स्तर पर होनी चाहिए। साथ ही राज्य की सीमा में चल रहे आटा उद्योगों के परिसरों में भी दबिश दी जानी चाहिए, ताकि ये पता चल सके कि मापदंडों के तहत आटा चक्की मील चल रही हैं। नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर एक व्यक्ति ने कहा कि क्षेत्र में खाद्य सामग्री की गुणवत्ता हमेशा दांव पर रहती है। आटे में से एक बड़ा हिस्सा चोकर का होता है। वो इस बात पर हैरान है कि सैंपल क्यों फेल नहीं होते है।
उधर,खाद्य आपूर्ति निगम के क्षेत्रीय प्रबंधक हुसन कश्यप ने पहली प्रतिक्रिया में कहा कि आपके माध्यम से ही आटे की थैली में मरा हुआ चूहा निकलने की जानकारी मिल रही है। वो जानकारी जुटाने के बाद ही कुछ बोल सकते हैं। कुछ देर बाद दूसरी प्रतिक्रिया में क्षेत्रीय प्रबंधक ने कहा कि सरकारी राशन डिपो से ग्राहक को आटा नहीं दिया गया है। साथ ही कहा कि समय-समय पर सैंपलिंग की जाती है। उन्होंने कहा कि निगम द्वारा केवल सरकारी राशन डिपुओं को सप्लाई दी जाती है, जिसकी जवाबदेही बनती है।
खास बात ये है कि ये मामला उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान के गृह क्षेत्र से सामने आया है। देखना है कि क्षेत्र में खाद्य सामग्री की गुणवत्ता में सुधार लाने को लेकर क्या कदम उठाए जाते हैं।