मंडी (वी.कुमार) : 90वें वर्ष की आयु में प्रवेश कर चुके पूर्व केंद्रीय संचार राज्य मंत्री पंडित सुखराम ने अपनी जिंदगी का पहला विधानसभा चुनाव मात्र 500 रूपये में लड़ा और जीता था। यह बात उन्होंने बुधवार को मंडी में अपने जन्मदिन पर मीडिया कर्मियों से बातचीत के दौरान कही। उन्होंने कहा कि उनके बच्चों ने कभी भी राजनीति का दुरूपयोग नहीं किया। हालांकि उन्होंने पत्रकारों के किसी भी सवाल का जबाव देने से इंकार कर दिया।
अपने 90वें जन्मदिन के मौके पर पूर्व केंद्रीय संचार राज्य मंत्री पंडित सुखराम मंडी में पत्रकारों से मुखातिब हुए। पत्रकारों से मुखातिब होते हुए उन्होंने पहले ही कह दिया कि आज उनका दिन है इसलिए वह अपने अनुभवों को सांझा करेंगे जबकि पत्रकारों के सवालों के जबाव नहीं देंगे। उन्होंने बताया कि 1962 में जब सदर विधानसभा क्षेत्र बना तो उन्हें लोगों ने बतौर आजाद उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतारा। उस वक्त वह नगर परिषद मंडी के सचिव के पद पर तैनात थे और उन्हें 900 रूपये ग्रेचुटी के रूप में मिले थे। इन्हीं पैसों से उन्होंने विधानसभा का पहला चुनाव लडा और पूरे चुनाव पर मात्र 500 रूपये खर्च किये। पंडित सुखराम ने उस वक्त के कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार स्वामी कृष्णानंद को मात दी थी। पंडित सुखराम का मानना है कि देश में शायद ही कोई विधानसभा क्षेत्र ऐसा होगा जहां के किसी प्रत्याशी ने मात्र 500 रूपये में चुनाव लड़ा और जीता हो।
पंडित सुखराम ने बताया कि उन्होंने जीतने के बाद अपने क्षेत्र में शिक्षा के क्षेत्र को सर्वोच्च प्राथमिकता दी और बाद में उन्हें कई पदों पर कार्य करने का मौका मिला। सरकार में कई बार मंत्री के पद पर रहे और विकास की गंगा बहाई। पंडित सुखराम के अनुसार जब वह मंत्री थे तो उस वक्त मंत्री और उसके परिवार की बात को कोई अधिकारी टाल नहीं सकता था लेकिन उनके परिवार ने कभी भी सत्ता और राजनीति का दुरूपयोग नहीं किया। यही कारण है कि आज उनका बेटा बतौर कैबिनेट मंत्री अपनी सेवाएं दे रहा है।
पंडित सुखराम ने सदर विधानसभा क्षेत्र से 13 चुनाव लड़े और जीते। उन्हें कभी हार का सामना नहीं करना पड़ा। उन्होंने बताया कि उन्होंने कभी कांग्रेस के सिवाय किसी दूसरी पार्टी का दामन नहीं थामा लेकिन हिमाचल विकास कांग्रेस के नाम से अपनी पार्टी का गठन जरूर किया और नीतियों के आधार पर भाजपा को समर्थन देते हुए प्रदेश में गठबंधन की सरकार बनाई। हालांकि उन्होंने बाद में अपनी पार्टी का विलय कांग्रेस में ही कर दिया।
पंडित सुखराम अब सदर विधानसभा क्षेत्र के लिए कुछ तोहफा देने का विचार कर रहे हैं। इसके लिए उन्होंने पत्रकारों से सुझाव भी मांगे कि सदर की जनता के लिए उनकी तरफ से कौन सा बेहतरीन तोहफा रहेगा। बता दें कि पंडित सुखराम को हिमाचल प्रदेश की राजनीति में चाणक्य के नाम से भी जाना जाता है। हालांकि अब उन्होंने राजनीति से सन्यास ले लिया है।