नाहन, 16 फरवरी : हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिला के अंतर्गत शिलाई उपमंडल के एक रिमोट गांव कनाडी में क्षय रोग (Tuberculosis disease) के संक्रमण की आशंका को लेकर हड़कंप है। स्वास्थ्य विभाग ने समूचे गांव में एक्टिव केस फाइंडिंग (Active Case Finding) के तहत सैंपलिंग करने का निर्णय लिया है। बता दें कि सिरमौर में इस समय टीबी के 646 मरीज हैं। यहां हर साल 35 से 36 टीबी के रोगियों की मौत हो जाती है।
दरअसल, बेहद ही गुरबत का सामना कर रहे एक ही परिवार के 6 लोगों के क्षय रोग की चपेट में आने की खबर फैली। लेकिन असल में परिवार के दो ही सदस्य संक्रमित (infected) हैं। इन्हें नाहन मेडिकल काॅलेज (Nahan Medical College) में दाखिल कर दिया गया है। स्वास्थ्य बिगड़ने की स्थिति में मरीजों को शिलाई भेजा गया था।
ग्रामीणों की मानें तो परिवार की हालत इस कद्र विकट है कि वो शौच तक घर के भीतर ही कर रहे हैं। अहम बात ये थी कि परिवार के टीबी से संक्रमित दो सदस्य पहले से ही विभाग की जानकारी में थे। इन्हें नियमित तौर पर दवाई दी जा रही थी, लेकिन वो दवाओं का नियमित सेवन नहीं कर रहे थे। टीबी के संक्रमण की स्थिति में डाइट भी मायने रखती है, लेकिन सरकारी सिस्टम में टीबी से संक्रमित रोगी को महज 500 रुपए प्रतिमाह दिया जाता है।
हालांकि, अब ये बात भी सामने आ रही है कि पंचायत ने परिवार को शौचालय के निर्माण के लिए 50 हजारी की राशि देने का भी निर्णय लिया है। लेकिन बड़ा सवाल ये है कि अब तक ये परिवार क्यों बीपीएल सूची (BPL List) में शामिल नहीं है। घर के हालात गुरबत की दास्तां खुद बयां कर रहे हैं।
एमबीएम न्यूज नेटवर्क को रोगियों की तस्वीरें उपलब्ध हुई हैं, लेकिन निजता व सामाजिक बहिष्कार (social exclusion) की संभावना के मद्देनजर इन्हें पाठकों से साझा नहीं किया जा सकता। अलबत्ता, ये जरूर है कि परिवार की दास्तां कलेजा पसीज देने वाली है।
उधर, एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में सिरमौर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) डाॅ.अजय पाठक ने कहा कि वैसे तो संक्रमित रोगियों को नियमित तौर पर दवाएं उपलब्ध करवाई जा रही थी। लेकिन वो सेवन में हमेशा आनाकानी करते रहे। चूंकि इलाके में टीबी संक्रमण को लेकर डर है, लिहाजा पूरे गांव की सैंपलिंग करने के लिए शिलाई के खंड चिकित्सा अधिकारी को आदेश जारी कर दिए गए हैं। साथ ही मनोचिकित्सक (psychiatrist) द्वारा भी परिवार के सदस्यों की काउंसलिंग की जाएगी।
उनका कहना था कि मरीजों को नाहन मेडिकल कॉलेज में दाखिल किया गया है, ताकि नियमित तौर से दवाएं दी जा सकें। डाॅ. पाठक ने कहा कि 14 फरवरी को डाॅ. राहुल टीम सहित मरीजों के घर भी पहुंचे थे। इस दौरान गांव के लोगों के साथ बैठक में सावधानियां बरतने को लेकर भी जागरूकता की गई।