रिकांगपिओ (जेएस नेगी) : 1 अगस्त से किन्नर कैलाश यात्रा शुरू हो रही है। यह यात्रा 11 अगस्त तकचलेगी । करीब 24 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित किन्नर केैलाश के दर्शन करने के लिए कई श्रद्वालू किन्नौर आते है। किन्नर कैलाश यात्रा कमेटी की ओर से पवारी नामक स्थान पर लगंर की व्यवस्था की गई है।
कमेटी अध्यक्ष विपल कांत ने कहा कि हर्ष वर्ष की भांति इस वर्ष भी कमेटी ने लगंर की व्यवस्था की है। शिव भक्तो कों पूरा खाना दिया जाएगा। उन्होने कहा कि श्रद्धालुओं को रास्ते के लिए पैक खाना की व्यवस्था भी की है ताकि रास्ते में भूख लगने पर खाना खाया जा सके। श्रद्धालु पोलीथीन की प्रयोग न करे इस के लिए उन्हें जागरूक किया जाएगा व बैस केंप पर हिदायत बैनर भी लगाया जाएगा । इसी तरह किन्नर कैलाश पर बहुमूल्य जडी-बूटी बहाकमल, ध्रुव आदि को श्रद्धालु नुक्सान न पहुंचाए इस के लिए भी उन्हे हिदायत दी जाएगी।
रंग बदलता है किन्नर कैलाश
किन्नर कैलाश दिन में सात बार रंग बदलता है, जिस कारण कैलाश दर्शन के लिए जिला किन्नौर में सैकडों शिव भक्त व पर्यटक आते है। सदियों पुरानी हिंदु व बौद्व अनुयायियों के आस्था का केंद्र किन्नर कैलाश आज के आधुनिक युग में भी उसी सदियों पुरानी परंपरा के अनुरूप आस्था का केंद्र बना हुआ है। शिव की तपोस्थली देवभूमि किन्नौर के बौद्व लोगों और हिंदु भक्तों का आस्था का केंद्र किन्नर कैलाश समुद्र तल से 24 हजार फीट की ऊचाई पर स्थित है।
बताते है कि किन्नर कैलाश स्थित शिवलिंग की ऊंचाई 40 चालीस फीट और चौड़ाई 16 फीट है। हर वर्ष सैकड़ों शिव भक्त किन्नर कैलाश दर्शन के लिए जुलाई व अगस्त माह में भारी जंगल व दुगर्म मार्ग से हो कर किन्नर कैलाश पहुंचते है।
इस आस्था के यात्रा के दौरान शिव भक्त प्रकृति की मनोहारी दृष्य का नेत्रपान करते हुए निरंतर अपने लक्ष्य की ओर बढते है। किन्नर कैलाश की यात्रा शुरू करने के लिए भक्तो को जिला मुख्यालय से करीब सात किलो मीटर दूर राष्ट्रीय उच्च मार्ग-5 स्थित पोवारी से तंगालिगं गांव से हो कर जाना पडता है। इस रामणिक सफर के लिए भक्तो को अपने साथ खाने-पीने का समान तथा पीने की पानी तंगालिग गांव से ही साथ लेना होगा, क्योकि इस सफर के बीच में कही भी पानी नही मिलता है। इस यात्रा के दौरान एक रात बीच में गुफा नामक स्थान पर ठहरना पडता है।
अगली प्रात वहां से चल कर शिवभक्तगणेश पार्क स्थल, पार्वती कुर्डं पहुंचते है, जहां पहुच कर भक्तजन ऐसा अनुभव करते है कि मानों धरती पर स्वर्ग की सैर कर रहे हो। इस पर्वती कुंड के आसपास प्रकृति के रंग बिरंगे फूल व औषधीय फूल और भगवान शिव के सबसे प्रिय फूल ब्रहम कमल से भरा हुआ है।
इस स्थान पर पहुंच कर शिव भक्त यात्रा के सारे थकान मिट जाती है। गणेश पार्क से करीब पांच सौ मीटर की दूरी पर पार्वती कुंड है, और इस कुंड के बारे जनमानस का मान्यता है की उक्त कुंड में सच्ची श्रद्वा से सिक्का लगा दिया जाए तो मन की मुराद पूरी होती है जिस कारण हर वर्ष बहुत से प्रेमी पार्वती कुंड में सिक्का डाल कर दिल की मुराद मांगते है। भक्त इस कुंड में पवित्र स्नान करने के बाद करीब 24 घंटे की कठिन राह पार कर किन्नर कैलाश स्थित शिवलिंग के दर्शन करने पहुंचते है।
किन्नर कैलाश की प्रकृति की मनोहरी दृष्य देख कर भक्त जन यात्रा की थकान क्षण भर में भूल जाते है। लम्बी यात्रा के बाद कुछ समय प्रकृति के मनोहरी गोद में सूकुन के साथ बिताने के बाद शिवभक्त वापस आते है।