शिमला/मंडी, 31 दिसंबर : वो कहते हैं, हौसलों में दम होना चाहिए….पंखों से कुछ नहीं होता। ऐसी कहावतें तो बेशुमार होंगी। लेकिन रियल लाइफ में सार्थक करने वाले इक्का-दुक्का ही होते हैं। 21 साल की लड़की कुसुम…19 साल की उम्र में दोनों फेफड़ों में पानी भर गया था। ऐसे में क्या वो स्प्रिंटर (sprinter) बन सकती थी…शायद आपका जवाब नहीं होगा। लेकिन, यकीन मानिए मंडी जनपद के पंडोह की बैल्ला पंचायत की 21 वर्षीय कुसुम ठाकुर ने इतिहास रचा है।
ओडिशा के भुवनेश्वर (Bhubaneswar) में आयोजित इंटर यूनिवर्सिटी एथलेटिक्स चैंपियनशिप (Inter University Athletics Championship) में कुसुम ने 200 मीटर की दौड़ को 24.13 सैकेंड में पूरा कर स्वर्ण पदक (Gold Medal) हासिल किया है। वो पहाड़ी प्रदेश की पहली स्प्रिंटर भी बन गई हैं। एक सैकेंड के करीब 50वें हिस्से से कुसुम नया राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाने से चूक गई, लेकिन इसका कुसुम को कतई भी मलाल नहीं है, क्योंकि जिन परिस्थितियों से गुजर कर वो इस मुकाम तक पहुंची है, वो साधारण नहीं है।
मंडी के वल्लभ महाविद्यालय (Vallabh College of Mandi) में बीए द्वितीय वर्ष की छात्रा कुुसुम ठाकुर ने भुवनेश्वर से घर वापसी के सफर के दौरान एमबीएम न्यूज नेटवर्क से लंबी बातचीत की। बोली, चौथी कक्षा में भाई हरीश चंद्र के साथ दौड़ना शुरू किया। 19 साल की उम्र में कोविड के दौरान जीवन में उस समय अंधकार हो गया, जब दोनों फेफड़ों में पानी भर गया था। चिकित्सकों ने फौरन ही रनिंग को स्टॉप करने को कहा।
दो साल तक ट्रैक पर नहीं गई। दिसंबर 2022 में सालों के अंतराल के बाद जब ट्रैक पर पहला कदम रखा तो पांव कांप रहे थे, मन में एक डर भी था, लेकिन हौंसला बरकरार रहा। खास बातचीत के दौरान कुसुम ने कहा कि रोजाना 6 से 7 घंटे की प्रैक्टिस करती है। मंडी के साथ-साथ धर्मशाला में भी प्रैक्टिस रहती है।
कुसुम ने सफलता का श्रेय शिक्षकों व कोच के अलावा भाई हरीश चंद्र को दिया है। कुसुम ने कहा कि भुवनेश्वर की इवेंट के दौरान भाई चंडीगढ़ में था, लेकिन वो कोसों दूर से भी हौसला अफजाई करता रहा। एक सवाल के जवाब में कुसुम ने कहा कि एशियाई खेलों में पदक हासिल करने का गोल अचीव करना चाहती है। पिता ढोलू राम व माता हंसा देवी के साथ-साथ भाई के लिए एशियाई पदक जीवन का सर्वश्रेष्ठ उपहार होगा।
किसान परिवार में जन्मीं कुसुम का हौसला वास्तव में ही जबरदस्त है। वो ऐसी बेटियों के लिए भी मिसाल बनी है, जो जीवन की डगर पर मामूली अड़चन आने पर भी डगमगा कर अवसाद में आ जाती हैं। बीमारी के दौरान कुसुम ने अवसाद को हावी नहीं होने दिया, बल्कि हौसले को बरकरार रखा।
असाधारण सफलता की दास्तां लिखने वाली बेटियों को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकार को ठोस कदम उठाने चाहिए। उल्लेखनीय है कि सिरमौर के गिरिपार क्षेत्र की गुद्दी मानपुर की निकिता शर्मा ने इंटर यूनिवर्सिटी एथलेटिक्स चैंपियनशिप में 1500 मीटर की इवेंट में गोल्ड मैडल हासिल किया है।