हमीरपुर, 17 दिसंबर : प्रदेश सरकार और शिक्षा विभाग ने 200 से 500 मीटर के दायरे में आने वाले स्कूलों को क्लस्टर में परिवर्तित करने से शिक्षा में गुणात्मक सुधार आएंगा तथा सरकारी स्कूलों के प्रति अभिभावकों का विश्वास भी बढ़ेगा। यह बात खंड परियोजना अधिकारी एवं प्रधानाचार्य राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला भोरंज डॉ. ओंकार सिंह भाटिया ने कही। उन्होने कहा कि शिक्षा के वर्तमान ढ़ांचे में बदलाव समय की मांग हैं।
सरकारी स्कूलों में घटती बच्चों की संख्या स्कूल प्रशासन के साथ अध्यापक वर्ग के लिए चिंता का विषय बनी हुई है। उन्होंने कहा कि सरकार ने सरकारी स्कूलों का क्लस्टर सिस्टम को शुरू करने का निर्णय बेहद सराहनीय है। अकसर प्राथमिक स्कूलों की पांच कक्षाओं में अध्यापकों की कमी के कारण गुणात्मक शिक्षा प्रदान करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है। ऐसे में पहली और दूसरी कक्षा से संपूर्ण अंग्रेजी माध्यम का लक्ष्य पूरा करना भी कठिन कार्य लगता है।
उन्होंने कहा कि क्लस्टर सिस्टम के शुरू होने से व स्कूलों में संयुक्त स्कूल प्रबंधन समितियों के गठन से साकारात्मक परिणाम मिलने लगे हैं। स्कूलों में प्रार्थना सभा एक साथ होने, पुस्कालयों का छोटे बच्चों के लिए उपयोग होने, खेल के मैदान की सेयरिंग तथा प्रवक्ताओं व अन्य अध्यापकों द्वारा पहली से पांचवी तक के बच्चों को पढ़ाना एक सराहनीय कार्य हैं। इससे छोटी कक्षाओं के बच्चों को गुणात्मक शिक्षा का ज्ञान के साथ संस्कृत विषय, कंप्यूटर शिक्षा, खेलकूद, दौड प्रतियोगीता, भाषण, प्रश्नोंत्तरी व अन्य सृजनात्मक गतिविधियां बढ़ने से से शिक्षा में क्रान्तिकारी कदम होगा।
उन्होंने कहा कि क्लस्टर सिस्टम में अध्यापक प्राथमिक पाठशालाओं के केंद्र मुख्य शिक्षक व मुख्य शिक्षक के निर्देशों से कक्षा-कक्ष में पढाने का कार्य करके अपनी ड्यूटी का निर्वहन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भोरंज ब्लॉक के स्कूलों में क्लस्टर सिस्टम के तहत कार्य करने की सूचना लगातार अभिभावकों को मिल रही है, तथा अभिभावक इसकी सराहना कर रहे हैं। आने वाले समय में इसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेेंगे।