नाहन, 08 दिसंबर : हिमाचल में शास्त्री अध्यापकों के रिक्त पदों को भरने हेतु 17 और 18 नवंबर को काउंसलिंग प्रक्रिया रखी हुई थी। 17 नवंबर को हुई काउंसलिंग प्रक्रिया तो पूरी हो गई, लेकिन 18 नवंबर की काउंसलिंग होने से पहले ही सरकार ने शास्त्री भर्ती प्रक्रिया को अकारण ही स्थगित कर दिया। जिसको लेकर बेरोजगार अभ्यर्थियों में भारी रोष है। यह बात हिमाचल प्रदेश प्रशिक्षित बेरोजगार शास्त्री संघ ने कही।
गौरतलब है कि सरकार द्वारा शास्त्री भर्ती में NCTE के नियमों को शामिल किया था। संघ का कहना है कि कुछ अप्रशिक्षित अभ्यर्थी बेवजह से सरकार के सामने ये भ्रांतियां फैला रहे हैं कि शास्त्री भर्ती में बीएड अनिवार्य नहीं होनी चाहिए। ये लोग शास्त्री भर्ती पुराने नियमों के तहत होने की मांग कर रहे थे।
बता दे कि सरकार राज्य में नई शिक्षा नीति को लागू कर रही है। NTT टीचर्स की भर्ती, NCTE के नियमानुसार हो रही है। शास्त्रियों के समक्ष भाषा अध्यापकों की भर्ती भी कई वर्षों से एनसीटीई के नियमानुसार हो रही है।
प्रशिक्षित बेरोजगार संघ ने कहा कि सरकार ने भर्ती प्रक्रिया शुरू होने तक एनसीटीई को ही आधार माना हुआ था। सरकार ने कुछ लोगों के कहने पर इस भर्ती प्रक्रिया को क्यों रोक दिया? प्रशिक्षित बेरोजगारों के साथ ये एक भद्दा मजाक है, जिसके कारण अभ्यर्थियों में भारी रोष है। सरकार को इस बारे में शीघ्र अति शीघ्र निर्णय लेना चाहिए, ताकि लंबे समय से रोजगार की आस लगाए बैठे बेरोजगारों को कुछ राहत मिल सके। बेरोजगार शास्त्री अभ्यर्थियों ने सरकार से आग्रह किया है कि इस काउंसलिंग प्रक्रिया को पूरा करे और भर्ती का परिणाम घोषित करने का दायित्व उच्च न्यायालय पर छोड़ दे, ताकि किसी के साथ अन्याय न हो।
प्रशिक्षित बेरोजगार शास्त्री संघ के सदस्य कमलेश शर्मा, आशीष कुमार, मनोज शर्मा, रजनी शर्मा, अनीता शर्मा, शशि बाला,शिव कुमार, गणेश शर्मा, जगजीत सिंह, अरविंद शर्मा, अनुपमा, नीरज शर्मा, राकेश कुमार, अंकुर शर्मा, संदीप कुमार, अरुण शर्मा, अरुण, रंजनी, अश्वनी कुमार एवं प्रदीप आदि ने सरकार से गुहार लगाई है कि स्थगित भर्ती प्रक्रिया को जल्द से जल्द पूरा करवाया जाए। ताकि लंबे समय से रोजगार की आस लगाए बैठे बेरोजगार अभ्यर्थियों को राहत मिल सके।