समय सीमा पर जताई आपत्ति, 70 % पटवारी व तहसीलदार के पद रिक्त होने को दिया तर्क
नाहन/ अंजू शर्मा : संयुक्त पटवारी एवं कानूनगो महासंघ इकाई ने संशोधित राजस्व अधिनियम के विरुद्ध एसडीएम कफोटा मयंक शर्मा को ज्ञापन सौंपा है। महासंघ ने ज्ञापन में बताया कि इस संशोधन के माध्यम से राजस्व कार्यों को निपटाए जाने के लिए बनाई गई तय सीमा से महासंघ सहमत नहीं है। उन्होंने कहा कि कानून बनाने से कुछ नहीं होगा,अपितु धरातल पर आवश्यक सुधार करना होगा।
महासंघ ने कहा कि वर्तमान समय में पटवारी कानूनगो नायब तहसीलदार व तहसीलदार के लगभग 25 से 70% पद रिक्त चल रहे है। इसके अलावा पटवारी कानूनगो को अपने राजस्व कार्य करने का तो समय ही नहीं मिल रहा है। हर रोज विभिन्न प्रमाण पत्रों की रिपोर्ट फोन द्वारा भिन्न-भिन्न सूचनाओं को तैयार करके भेजना, PM किसान,स्वामित्व योजना,कार्य कृषि गणना लघु सिंचाई, धारा 163 के तहत मिसल कब्जा तैयार करना, जमाबंदी की नकले सत्यापित करना शामिल है।
महासंघ इकाई ने संशोधित राजस्व अधिनियम की और आकर्षित करते हुए आग्रह किया है कि प्रदेश में पटवारी कानूनगो को सप्ताह में तीन दिन कार्यालय में जरूरी तौर पर बैठने, फसल घास व वर्षा के समय के बाद साल में 3-4 महीने ही फील्ड सम्बन्धित कार्य करने को मिलते हैं। एक कानूनगो ज्यादा से ज्यादा 5-7 निशानदेही के मामले को एक माह में निपटा सकता है, जबकि उसके पास निशानदेही के प्रतिमाह 30 से 40 मामले आते हैं। ऐसी सूरत में आपके द्वारा तय की गई समय सीमा में काम कैसे होगा इस पर विचार विमर्श किया जाए।
महासंघ ने आग्रह किया कि पटवारी, कानूनगो एक माह में कौन- कौन से काम कितनी मात्रा में करेगा। सरकार इस बारे में एक बिल लाने की कृपा करें। महासंघ के पदाधिकारियों ने कहा कि संशोधित बिल को लागू करने से पहले एक बार राज्य कार्यकारिणी के साथ बैठक करने की कृपा करें। उन्होंने कहा कि यदि कार्यकारिणी के साथ चर्चा किए बिना इसको थोपने की कोशिश की गई तो महासंघ किसी भी प्रकार का आंदोलन करने पर विवश होगा। सरकार इस प्रकार के बदलाव न करें अन्यथा संघ के पदाधिकारियों को मज़बूरी में आंदोलन का रास्ता अख्त्यार करना पड़ेगा।
इस दौरान महासंघ के प्रधान प्रदीप शर्मा, सचिव दौलत राम, उप-प्रधान सुरेश चंद, कोषाध्यक्ष वीरेंद्र कपूर, प्रेस सचिव आकाश राठौर,मुख्य सलाहकार रिंकू धीमान, आत्मा राम, विनोद कुमार,एवं अमित शर्मा मौजूद रहे।