शिमला, 28 जुलाई : चनावग रूट की बस शुक्रवार को करीब 30 सवारियों को बीच सफर में छोड़ गई। गुस्साई सवारियों के विरोध के बाद यह बस वापस लौट आई और चनावग तक सवारियों को पहुंचाया। यह वाकया चनावग रूट के लिए नया नहीं है। इस रूट की सवारियां लंबे समय से ऐसी परेशानियां झेल रही है।
बस में सवार प्रकाश, ताराचंद, पूनम, मालती, भगत राम, देवकी देवी, मनोहर, सुनीता, खुशबू, दिव्या, डिम्पल, अजय, साक्षी ने बताया कि एचआरटीसी (HRTC) यूनिट दो की दोपहर को वाया धामी चनावग जाने वाली बस में कंडक्टर ने चनावग की सवारियों का यह कहकर गलू स्टेशन तक का ही टिकट बनाया कि गलू से आगे दोबारा टिकट बनेगा।
गौरतलब है कि गलू स्टेशन से लिंक रोड (Link Road) से मलावण तक यह बस सवारियां छोड़कर चनावग जाती है। सवारियों ने बताया कि गलू स्टेशन में बस कंडक्टर ने चनावग की सवारियों का सामान बस से बाहर धकेल दिया। परेशान सवारियों ने बताया कि करीब 5 बजे बस मलावण से वापस गलू स्टेशन पहुंची। उन्होंने बताया गलू पहुंच कर बस ड्राइवर व कंडक्टर ने बताया कि बस का टायर पंचर है बस चनावग नहीं जाएगी, लेकिन ड्राइवर बस को वापस शिमला की ओर ले गया। गलू स्टेशन में छोटे-छोटे बच्चे, बुजुर्ग, लड़कियां व महिलाएं करीब 30 सवारियां खड़ी रही। इसी तरह चनावग स्टेशन पर भी शिमला आने वाली सवारियां परेशान रही।
सवारियों ने बताया कि इस रूट पर बार-बार आने वाले ड्राइवर-कंडक्टर ऐसा करते हैं। करीब एक सप्ताह पहले भी यह बस गलू से चनावग नहीं आई थी। उन्होंने बताया कॉलेज की लड़कियां इसी बस से वापस घर जाती है। कुछ लड़कियों को अपने स्टॉपेज से करीब 7 किलोमीटर पैदल हरशिंग धार व दाड़वाकोट जंगल के रास्ते घर पहुंचना होता है। काबिले जिक्र है कि यह इलाका भालुओं के जानलेवा हमलों से खौफजदा है। देर शाम को पैदल सफर करना यहां जोखिम भरा है। पूर्व में राहगीर भालुओं के हमलों में अपनी जान गवां चुके हैं।
इस बाबत एचआरटीसी यूनिट दो के आरएम (RM) से बात की गई। उन्होंने बताया कि यात्रियों के लिए बस भेजी जाएगी और यदि बस चालक परिचालक दोषी पाए गए तो उन्हें सस्पेंड किया जाएगा।