शिमला (एमबीएम न्यूज): हिमाचल के बागवानों की आर्थिकी को मजबूत करने की राज्य सरकार के दावों की पोल खुलने लगी है। सरकार ने बागवानों से पिछले साल मंडी मध्यस्थता योजना (एमआईएस) के तहत जो सेब की खरीद की थी, उस राशि का सरकार अभी तक भुगतान नहीं कर पाई है। यह राशि करीब 4 करोड़ रूपए के आसपास बनती है। मंडी मध्यस्थता योजना के तहत सेब की खरीद सरकारी उपक्रम एचपीएमसी और हिमफैड द्वारा की जाती है।
सेब का सीजन अब शुरू होने जा रहा है। लेकिन सरकार की लच्चर कार्यप्रणाली का खामियाजा सूबे के बागवानों को भुगतना करना पड़ रहा है। अकेले एचपीएमसी ने पिछले साल बावगानों से करीब 20 हजार मीट्रिक टन सेब की खरीद की थी। इसकी कीमत करीब 12 करोड़ बनती है। मगर एक साल का समय बीतने के बाद भी बागवानों को इस सेब का करीब 4 करोड़ रूपए का भुगतान नहीं हो पाया है। वहीं एचपीएमसी प्रबंधन इस राशि के लिए सरकार से उम्मीद लगाए बैठा है।
उधर एचपीएमसी के महाप्रबंधक सुरेंद्र चौहान का कहना है कि बागवानों को पैंडिग राशि के लिए सरकार को पत्र लिखा गया है। अभी सरकार से कोई जवाब नहीं आया है। उनका कहना है कि सराकर से पैसा मिलने के बाद बागवानों उको इसका भुगतान कर दिया जाएगा।