हमीरपुर, 18 दिसंबर : जिला हमीरपुर बेशक पूरे प्रदेश में सबसे छोटे जिले के रूप में जाना जाता है, लेकिन हमीरपुर ने एक बार फिर प्रदेश को मुख्यमंत्री देकर साबित कर दिया कि अभी भी उसकी राजनीति में पैठ बरकरार है। हमीरपुर केवल 1,118 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। बेशक प्रदेश का सबसे छोटा जिला है, लेकिन हिमाचल की राजनीति में इसकी हैसियत छोटी नहीं है।
लगभग पांच दशकों से यह छोटा सा जिला प्रदेश की राजनीति में अपनी एक मजबूत पैठ बनाए हुए है। प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में सुखविंदर सिंह सुक्खू की ताजपोशी के बाद जिला के इतिहास में अब एक नया अध्याय जुड़ गया है। एक नवंबर 1966 को हिमाचल में शामिल होने और वर्ष 1972 में जिला का दर्जा मिलने के बाद से ही हमीरपुर की अपनी एक अलग राजनीतिक पहचान रही है। 70 व 80 के दशक में प्रदेश में कांग्रेस की सरकार हो या भाजपा की, मंत्रिमंडल में जिला हमीरपुर को बड़ा स्थान मिलता रहा है।
वर्ष 1977 में पहली सत्ता परिवर्तन के बाद तत्कालीन जनता पार्टी की सरकार में ठाकुर जगदेव चंद वरिष्ठ मंत्री के रूप में काबिज हुए थे। 1977 से लेकर 1993 तक ठाकुर जगदेव चंद जिला हमीरपुर ही नहीं, बल्कि हिमाचल प्रदेश की राजनीति में एक बड़ा नाम रहा। दो बार शांता कुमार के मंत्रिमंडल में उनकी हैसियत नंबर दो की थी। इस बीच 80 के दशक में चौधरी धर्म सिंह और रणजीत सिंह वर्मा कांग्रेस की सरकारों में मंत्री रहे।
रणजीत सिंह ने प्रदेश विधानसभा में उपाध्यक्ष की सेवाएं दी हैं इसके अतिरिक्त कामरेड अमी चंद ने विधानसभा के उपाध्यक्ष के रूप में सेवाएं दी है। वहीं बाबू राम मंडयाल भी पूर्व संसदीय सचिव रहे। वर्ष 1993 में ठाकुर जगदेव चंद के निधन और भाजपा की हार के बाद प्रदेश में बनी कांग्रेस की सरकार में प्रोफेसर नारायण चंद पराशर वरिष्ठ मंत्री के रूप में शामिल रहे।
वर्ष 1998 के विधानसभा चुनाव में जिला हमीरपुर ही नहीं, बल्कि हिमाचल प्रदेश की राजनीति में एक बहुत बड़ा परिवर्तन हुआ। यहीं से प्रदेश की राजनीति में धूमल युग की शुरुआत हुई। जिला हमीरपुर को पहली बार मुख्यमंत्री का पद मिला। वर्ष 2007 में वह दूसरी बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। धूमल के साथ-साथ आईडी धीमान व अनुराग सिंह ठाकुर भी प्रदेश एवं राष्ट्रीय राजनीति में नए मुकाम हासिल करते गए और अनुराग अभी मोदी सरकार में अहम पद पर काबिज है।
वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव के बाद बदले राजनीतिक हालात में जिला हमीरपुर को एक बार फिर मुख्यमंत्री का पद मिला है। हिमाचल प्रदेश में कई दशकों तक सत्तासीन रह चुकी कांग्रेस ने पहली बार निचले हिमाचल के किसी नेता को मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंपी है। यह गौरव जिला हमीरपुर को प्राप्त हुआ है। इस प्रकार यह कहने में कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी कि हमीरपुर बेशक क्षेत्रफल की दृष्टि से प्रदेश का सबसे छोटा जिला है, लेकिन इसकी सियासी हैसियत बहुत बड़ी है। इसी बीच पूर्व संसदीय सचिव अनिता वर्मा भी राष्ट्रीय महिला कांग्रेस की अध्यक्षा रही है।