नाहन (शैलेंद्र कालरा): माता-पिता चाहे तो बच्चों को ऐसे संस्कार दिए जा सकते हैं, जो परिवार के साथ-साथ पैतृक भूमि का नाम देश-विदेश में रोशन कर सकते हैं। जी हां, यहां एक ऐसे शख्स के जीवन की दास्तां से आपको रूबरू करवाया जा रहा हैं, जिन्होंने अपने बेटों को संस्कार तो दिए हैं। साथ ही गुरबत के बावजूद डॉक्टर बनाया। लंदन में रहकर भी बेटों ने सादगीपूर्ण जीवन के साथ-साथ अपनी मातृभूमि से प्रेम नहीं छोड़ा है। साल में दो बार स्वदेश आते हैं।
प्रयास करते हैं कि किसी की मदद हो जाए। 65 साल के जसवीर सैनी ने 1968 में कच्चा टैंक में सब्जी की दुकान शुरू की थी। सब्जी बेचने की कमाई से ही आज तीनों बेटे होनहार हैं। बच्चों को संस्कार देने में जसवीर की पत्नी रोशनी सैनी का भी कम योगदान नहीं आंका जा सकता। सैनी दंपतित का बेटा संजीव सैनी अपने माता-पिता के साथ यहीं रह रहे हैं। जबकि दो बेटे सुनील व राजेश लंदन में रहकर डॉक्टरी पेेशे में तो नाम कमा रहे हैं। साथ ही ऐसा कर रहे हैं, जिससे दुनिया में देवभूमि के पर्यटन को पहचान भी मिल रही है।
कमाल देखिए कि परिवार को आज कोई भी आर्थिक परेशानी नहीं है। शिद्दत से की गई जसवीर सैनी की मेहनत काफी समय पहले ही रंग ला चुकी थी, लेकिन आज भी जसवीर सैनी अपनी सब्जी की दुकान चलाते हैं। मझला बेटे सुनील ने 1997 में पीएमटी परीक्षा में दूसरा स्थान हासिल किया था, जबकि सबसे छोटे बेटे राजेश ने जमा दो की परीक्षा में टॉप किया था।
कैसे नाहन समेत देवभूमि का पर्यटन कर रहे प्रमोट?
दरअसल जसवीर सैनी के दोनों बेटे एडवेंचर के शौकीन हैं। याद कीजिए, 14 जून 2015 को भाईयों ने लंदन से नाहन की यात्रा ड्राईविंग से पूरी करने की जिद की थी। इस जिद में काफी हद तक दोनों भाई कामयाब भी हो गए। म्यांमार में बारिश ने भाईयों की लैंड क्रूजर (राफा) के पहिए रोक दिए। शीपिंग से राफा को चेन्नई लाया गया, जहां से पूरे देश में भी ड्राईविंग हुई। ताकि 26 हजार किलोमीटर ड्राईविंग का लक्ष्य पूरा हो सके। यह यात्रा 19 सितंबर 2015 को पूरी हुई थी। सनद रहे कि राफा पर “Team Nahan” लिखा है। लिहाजा राफा जहां से गुजरती हैं, वहां हिमाचल खासकर नाहन का नाम भी पहुंच जाता है। चार जून को भाईयों ने राफा में ही लंदन-स्टॉकहोम-स्कॉटलैंड-नॉर्वे की यात्रा शुरू की है। दुनिया के अंतिम छोर तक नॉर्ड कैप पहुंचने का लक्ष्य रखा गया है। भाईयों की इस यात्रा की मन मोह लेने वाली तस्वीरें फेसबुक पेज द लांग ड्राइव होम पर क्लिक कर देखी जा सकती हैं।
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चाचू का घर पर बेसब्री से रहता है इंतजार
कच्चा टैंक में घर पर नौंवी कक्षा में पढ़ रहे साक्षात सैनी व सातवीं की छात्रा साक्षी सैनी इंतजार करते हैं कि चाचू सुनील व राजेश कब घर आएंगे, ताकि अलग-अलग देशों की संस्कृति व अन्य जानकारियों के किस्से सुन सकें। सनद रहे कि राफा अब तक लगभग अढ़ाई दर्जन से अधिक देशों की सडक़ों पर दौड़ चुकी है।