शिमला (एमबीएम न्यूज़): हिमाचल सरकार के विभिन्न विभागों के कार्यालय में लंबे समय से ठेकेदारी सिस्टम/आउटसोर्स पर काम करते कर्मचारियों ने आउटसोर्स कर्मचारी महासंघ के बैनर तले राज्य सचिवालय के बाहर एकजुट होकर रोष प्रदर्शन करते हुए स्थायी नीति बनाने की मांग की। आज सुबह से प्रदेश भर से आउटसोर्स पुरूष व महिला कर्मचारी सचिवालय के बाहर एकत्रित हुए और दिन भर प्रदर्शन करते रहे। हालांकि आंदोलनकारी कर्मचारियों की मुख्य सचिव से मुलाकात न होने के चलते इन्हें मायूस होना पड़ा। मुख्य सचिव आज सुबह ही मुख्यमंत्री के साथ दिल्ली रवाना हो गए थे।
आउटसोर्स कर्मचारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष धीरज चौहान ने बताया कि लगभग 400 आउटसोर्स कर्मचारी इस धरने में शामिल हुए। उन्होंने कहा कि सरकार आउटसोर्स कर्मचारियों को लेकर जरा भी गंभीर नहीं है। कर्मचारी अपने भविष्य को लेकर चिंता में हैं, क्योंकि हम करीब 10 सालो से सरकारी विभागों में काम कर रहे हैं, लेकिन अभी तक कोई स्थायी नीति नहीं बनाई गई है। उन्होंने आउटसोर्स कर्मियों के हितों को देखते हुए सरकार से जल्द स्थायी नीति बनाने की मांग की।
गौरतलब है कि विभिन्न यूनियन के कर्मचारी पिछले 10-15 वर्षो से विभागों में ठेकेदारी सिस्टम के तहत काम करते आ रहे हैं। हाल ही में हुई राज्य मंत्रिमण्डल की बैठक मं आउटसोर्स प्रथा बंद करने का निर्णय लिया गया है। जिससे सरकार अब आउटसोर्स कर्मचारी भर्ती नहीं करेगी। सरकार के इस फैसले से सैंकड़ों आउटसोर्स कर्मचारियों के भविष्य पर संकट खड़ा हो गया है। आउटसोर्स पर तैनात कर्मियों को अनुबंध व नियमितीकरण की आस थी, लेकिन अब यह धाराशायी हो गई है।
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