शिमला, 14 मार्च : हिमाचल के एक पिता को नहीं पता था, एक दिन ऐसा भी होगा, जब बेटे के नाम ‘विशाल’ के अनुरूप एक विशाल हौंसले से जुड़ा फैसला लेना होगा।
18 साल का बेटा विशाल हादसे में चला गया। पिता हरनाम सिंह नहीं जानते थे कि विशाल के अंगों के प्रत्यारोपण से किसी के जीवन में मुस्कान लाई जा सकती है। टांडा मेडिकल काॅलेज में ट्रांसप्लांट विशेषज्ञ ने हरनाम को अंगदान का महत्व समझाया।
आंखों के आंसू बरबस बह रहे थे, मगर पिता ने अपने बेटे के नाम के अनुरूप विशाल हृदय से हामी भर दी। ग्रीन कोरिडोर से विशाल की किडनियों को पीजीआई चंडीगढ़ पहुंचाया गया। हरियाणा के करनाल के रहने वाले 39 वर्षीय पवन को नव जीवन मिल गया है। विशाल के शरीर से निकाली गई दो किडनियों में से पवन के शरीर में सफल प्रत्यारोपण कर दिया गया है।
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शनिवार की रात पीजीआई के प्रत्यारोपण विभाग द्वारा सफल किडनी ट्रांसप्लांट किया गया। बताया जा रहा है कि पवन की हालत स्थिर है। 4-5 दिन चिकित्सकों की निगरानी में ही पवन रहेगा। दूसरी किडनी सिकुड़ जाने की वजह से अन्य रोगी को ट्रांसप्लांट नहीं की जा सकी। परीक्षण भी सफल नहीं पाया गया था।
हिमाचल के कांगड़ा जिला के नगरोटा बगवां के हटवास गांव के रहने वाले हरनाम मजदूरी से परिवार का लालन-पोषण करते हैं। बड़ा बेटा कपिल भी दिहाड़ीदार है। दिवंगत विशाल ने जमा दो की पढ़ाई पूरी कर ली थी। हरनाम इस उम्मीद में थे कि पढ़-लिखकर विशाल कमाना शुरू कर देगा तो परिवार को आर्थिक मदद मिल जाएगी। लेकिन होनी को कुछ ओर मंजूर था।
10 मार्च 2022 को 18 साल का विशाल बाइक पर धर्मशाला आ रहा था। रास्ते में सड़क हादसे का शिकार हो गया। हैड इंजरी की वजह से चिकित्सकों ने उसे ब्रेन डैड घोषित कर दिया। पिता हरनाम की मंजूरी के बाद टांडा मेडिकल काॅलेज में शनिवार को अंग निकालने की प्रक्रिया शुरू की गई थी।
इसके लिए पीजीआई से भी चिकित्सकों की टीम टांडा पहुंची थी। गौरतलब है कि टांडा मेडिकल काॅलेज में अंग निकालने की प्रक्रिया पहली बार की गई। मेडिकल काॅलेज के इतिहास में भी विशाल का नाम स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज हो गया है।
उधर, मीडिया रिपोर्टस में करनाल के 39 वर्षीय पवन ने कहा कि आज उन्हें विशाल की वजह से नया जीवन मिल गया है। उनका ये भी कहना था कि वो अंगदान के लिए लोगों को प्रेरित करेंगे।