शिमला (एमबीएम न्यूज़) : मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के खिलाफ ईडी की जांच को लेकर विपक्ष के सदस्यों ने बुधवार को हिमाचल विधानसभा में एक बार फिर जमकर शोरगुल और हंगामा किया जिसके कारण सदन की कार्यवाही लगभग 13 मिनट तक स्थगित करनी पड़ी।
विधानसभा में कार्यवाही शुरु होते ही विपक्ष के सदस्य ईडी मामले को लेकर जांच की मांग करने लगे। कई भाजपा सदस्यों ने इसे बेहद गंभीर मसला बताया और स्पीकर से तुरंत चर्चा करवाने का आग्रह किया। भाजपा विधायक रिखी राम कौंडल ने कहा कि उनके और सुरेश भारद्वाज द्वारा नियम-67 के तहत स्थगन का नोटिस दिया गया था, ताकि ईडी मामले पर सदन में बहस हो सके।
उन्होंने कहा कि पिछले कल भी इस मुददे पर भाजपा के नोटिस को खारिज कर दिया गया था, जबकि यह एक गंभीर मुददा है, क्योंकि इस मामले को लेकर रोजाना अखबारों में समाचार आ रहे हैं। भाजपा विधायक राजीव बिंदल ने भी स्पीकर से नोटिस को स्वीकार कर चर्चा करवाने की मांग की। मगर स्पीकर ने नियमों का हवाला देते हुए विपक्ष की मांग ठुकरा दी और उन्हें प्रश्नकाल की कार्यवाही में हिस्सा लेने को कहा। स्पीकर ने कहा कि इस मामले पर जांच चल रही है और अदालत में भी यह विचाराधीन है। ऐसे में सदन में इस पर चर्चा करवाने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।
मुकेश अग्निहोत्री की गैरमौजूदगी में संसदीय कार्य मंत्री का दायित्व निभा रहे जीएस बाली ने विपक्ष के रवैया की आलोचना करते हुए कहा कि विस अध्यक्ष द्वारा उनका नोटिस खारिज कर दिया गया है, तथा अब उन्हें कार्यवाही को बाधित नहीं करना चाहिए। नेता प्रतिपक्ष प्रेम कुमार धूमल बोले कि बाली काफी जोश में हैं, क्योंकि उन्हें संसदीय कार्य मंत्री का नया दायित्व मिला है। धूमल ने पिछले कल इस मुददे पर भाजपा विधायकों की बातों को सदन की कार्यवाही से हटाने पर भी नाराजगी जताई।
इस दौरान सतापक्ष के कुछ सदस्यों ने विपक्ष पर पलटवार किया और टिप्पणियां कीं। इससे दोनों तरफ से बयानबाजी होने लगी और माहौल तनावपूर्ण हो गया।
स्पीकर ने स्थिति संभालने का भरसक प्रयास किया, मगर सदन को अव्यवस्थित देखकर उन्होंने ग्यारह बजकर 17 मिनट पर सभा की कार्यवाही साढ़े ग्यारह बजे तक के लिए स्थगित कर दी। साढ़े ग्यारह बजे के करीब जब सभा की कार्यवाही पुनः शुरु हुई, और स्पीकर ने प्रश्नकाल शुरू करने की घोषणा कर दी। इस बीच विपक्षी सदस्य फिर से शोर करने लगे और नारेबाजी करते हुए बेल में आ गए।
शोरगुल और हंगामे के बीच ही अध्यक्ष बुटेल ने प्रश्न काल जारी रखा और इस दौरान मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने कांग्रेस विधायकों के कई प्रश्नों के उत्तर भी दिए। हालांकि शोरगुल और हंगामें के कारण उनके उत्तर को ठीक से सुना नहीं जा सका। प्रश्नकाल समाप्त होने के बाद विपक्षी सदस्य अपनी-अपनी सीटों पर बैठ गए और कटौती प्रस्ताव में हिस्सा लिया।