ऊना, 22 फरवरी: पत्रकारिता में भी एक अंधी दौड़ होती है। घटनास्थल पर पहुंचने की होड़ पत्रकारों में इस कारण होती है कि वो एक्सक्लूजिव फुटेज या तस्वीरें हासिल कर लें। ऐसे में अक्सर मानवता का सरोकार शून्य होता है। मगर, मंगलवार को कवरेज की होड़ छोड़कर पत्रकार अनुज ने मानवता को सर्वोपरि रखा।
इत्तफाक से हिन्दी दैनिक हिमाचल दस्तक के पत्रकार अनुज का घर भी घटनास्थल के नजदीक ही है। हादसे की सूचना मिलते ही वो कैमरा लेकर घटनास्थल की तरफ दौड़े। मगर वहां पाया कि चारों तरफ चीख पुकार थी। राहत कार्य भी शुरू नहीं हो पाया था। एंबूलेंस भी नहीं थी। अवैध पटाखा फैक्टरी के विस्फोट में एक बच्ची सहित 7 महिलाएं दम तोड़ चुकी थी। बाकी घायल दर्द से कराह रहे थे।
तुरंत ही अनुज ने कवरेज न करने का फैसला लिया। अपनी गाड़ी को लेकर मौके पर पहुंचे। 7 घायलों को लेकर 18 किलोमीटर दूर ऊना अस्पताल का सफर तय किया। इसके अलावा तीन घायलों को दूसरी गाड़ी में भी बिठाया।
समाचारपत्र के ब्यूरो चीफ राजीव भनोट ने अपनी एक पोस्ट में लिखा कि “दुखद हादसे की सूचना मिली तो तुरंत ही बाथड़ी में अपने पत्रकार अनुज को कवरेज के लिए कहा। साथ ही जल्द से जल्द स्टोरी फाइल करने के भी निर्देश दिए। लेकिन अनुज ने कवरेज छोड़कर मानवता को सर्वोपरि मानते हुए घायलों को अस्पताल पहुंचाने का फैसला लिया।”
ये भी ठीक है कि मौके की कवरेज पत्रकार का दायित्व होता है, लेकिन इसे भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता कि किसी का जीवन बचाने से बढ़कर कोई दायित्व नहीं हो सकता। पत्रकार अनुज के इस कदम की हर कोई प्रशंसा कर रहा है। साथ ही ऐसे शख्सियतों को प्रशासन को भी प्रोत्साहित करना चाहिए।
गौरतलब है कि बाथड़ी में हुए इस दर्दनाक हादसे ने कई सवाल भी पैदा किए हैं। प्रधानमंत्री ने मृतकों के परिवारों को 2-2 लाख के मुआवजे का ऐलान किया है, जबकि राज्य सरकार ने 4-4 लाख का मुआवजा देने का निर्णय लिया है।