नाहन/धर्म सिंह : जीवन में मुकाम हासिल करने वालों को अक्सर हम किस्मत का धनी कहते हैं, लेकिन उस मुकाम तक पहुँचने के लिए उस व्यक्ति ने कितना संघर्ष किया है, इसका अंदाजा नहीं होता है।
ऐसा ही उदाहरण सिरमौर के दुर्गम क्षेत्र शिलाई के टिटियाना का सामने आया है। यहां कृपा राम का जन्म भी आम बच्चों की तरह ही हुआ, लेकिन जैसे- जैसे उम्र बढ़ती रही, आंखों की रोशनी भी तेज गति से कम होती रही। सातवीं कक्षा में 80-90 प्रतिशत आंखों की रोशनी जा चुकी थी।
इसके बाद पीजीआई चंडीगढ़ से गरीब परिवार ने किसी तरह इलाज शुरू किया। लेकिन आंखों की रोशनी वापिस नहीं आई। 3 साल तक पढ़ाई छोड़नी पड़ी, लेकिन कृपा राम ने अपने सपनों के आगे अंधेरे को टिकने नहीं दिया। शिमला के ढ़ली स्थित विशेष स्कूल से फिर से पढ़ाई शुरू की। ब्रेल लिपि सीखने के बाद सुनने के यंत्रों का सहारा लेकर नाहन के राजकीय शमशेर वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल से हॉस्टल में रहकर बारहवीं की पढ़ाई पूरी की। जिसके बाद सोलन से स्नातक और शिमला विश्वविद्यालय से एमए की पढ़ाई पूरी की।
इसके बाद सपनों को उस समय पंख लगे, जब उन्होंने राजनीति शास्त्र विषय में राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (नेट) को उतीर्ण कर लिया।
कृपा राम ने बताया कि उनका बचपन से ही बच्चों को पढ़ाने का सपना रहा है। अब वह कमीशन की तैयारी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि वह 4 भाई-बहन हैं, जिसमें वो सबसे बड़े हैं। पिता कौला राम व माता शीला देवी खेती बाड़ी करते हैं। गरीबी होने के बावजूद उन्होंने उनकी पढ़ाई के लिए हर संभव कोशिश की।
हालांकि 2 वर्ष पूर्व पिताजी का भी निधन हो गया, जिसके बाद बड़ा बेटा होने के नाते परिवार की जिम्मेदारी सिर पर आ गई। शिक्षकों का मार्गदर्शन व सहयोग से इस मुकाम तक पहुंचे है। इसके अलावा शमशेर स्कूल के प्रवक्ता दिनेश सूद का आज भी सहयोग मिल रहा है।