शिमला, 16 फरवरी : हिमाचल प्रदेश के कॉलेजों में कार्यरत वोकेशनल प्रशिक्षकों ने प्रदेश सरकार से स्थायी नीति बनाने की मांग उठाई है। हिमाचल प्रदेश वोकेशनल प्रशिक्षक महासंघ के अध्यक्ष कुश भारद्वाज ने बुधवार को शिमला में प्रेस वार्ता में कहा कि प्रदेश के स्कूलों व कॉलेजों में वोकेशनल प्रशिक्षक कई सालों से आउटसोर्स आधार पर सेवाएं दे रहे हैं। 18 कॉलेजों में 160 के करीब वोकेशनल प्रशिक्षक सेवारत हैं।
उन्होंने कहा कि असम में वोकेशनल प्रशिक्षकों को हाल ही में नियमित कर दिया गया है। इसी तरह हरियाणा में भी स्थायी नीति बनाई गई है। उन्होंने मांग उठाई है कि इस तर्ज पर हिमाचल सरकार को भी वोकेशनल प्रशिक्षकों के लिए स्थाई नीति बनानी चाहिए।
कुश भारद्वाज ने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा वर्ष 2017 में 18 कॉलेज में बैचलर ऑफ वोकेशन का तीन साल का डिग्री प्रोफेशनल कोर्स शुरू किया गया है। जिसमें रिटेल व हॉस्पिटलेटी विषयों को शामिल किया गया हैं। इस तरह के डिग्री कोर्सेज का मुख्य उद्देश्य विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार के अवसरों को बढ़ाना है और छात्रों को बेहतर प्रशिक्षण के साथ विभिन्न आधुनिक क्षेत्रों में कार्य करने के लिए आवश्यक ज्ञान प्रदान किया जा रहा है और उनके भीतर छिपे हुए हुनर को विकसित किया जा रहा हैं।
उन्होंने कहा कि बैचलर ऑफ वोकेशन डिग्री उन युवाओं के लिए बड़े पैमाने पर कारगर साबित हो रहा है जो अच्छी नौकरी और बेहतर लाइफस्टाइल के नवीन अवसरों व स्किल्ड जॉब्स की तलाश कर रहे हैं। वोकेशनल प्रशिक्षक दिन रात एक कर विद्यार्थियों को इंडस्ट्री के योग्य बना रहे हैं।
उन्होंने उम्मीद जताई कि प्रदेश सरकार बजट सत्र में वोकेशनल प्रशिक्षकों को स्थाई नीति बनाकर राहत देगी।