हमीरपुर, 23 जनवरी : बेटियां हरेक क्षेत्र में डंका बजा सकती है। हिमाचल के हमीरपुर जनपद में बेटियां न केवल प्रशासनिक व पुलिस व्यवस्था की मुखिया है बल्कि अन्य अहम पदों पर जिम्मेदारी को बखूबी निभा कर साबित कर रही है कि “बेटियां अनमोल होती है। हिमाचल सबसे साक्षर जिला के तौर पर भी हमीरपुर की पहचान होती है। हर्ष की बात है कि जिला की कमान बेटियों ने संभाली हुई है।
IAS देबश्वेता बनिक हमीरपुर के उपायुक्त के पद पर 32 वर्षीय बेटी देबश्वेता बनिक तैनात है। वो 22 वर्ष की आयु में यूपीएससी की परीक्षा को में 14 वीं रैंक हासिल करने में सफल हुई थी। IAS देबश्वेता बनिक नोएडा से है। उनके पिता के.एस. बनिक नोएडा में एक इंजीनियर हैं और उनकी मां सुजाता बनिक गृहणी है। देबश्वेता बनिक ( IAS Debashweta Banik) ने दिल्ली पब्लिक स्कूल, नोएडा से स्कूली शिक्षा पूरी की। उसके बाद 2011 में बी.ए. मिरांडा हाउस, दिल्ली विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में पूरी की। उन्होंने कॉलेज के अंतिम वर्ष में ही भारतीय सिविल सेवा परीक्षा के लिए खुद को तैयार करने का फैसला किया। 21 साल की उम्र में पूरे भारत में 14 वें रैंक के साथ सफलता प्राप्त की। बेहद ही दिलचस्प जानकारी में आईएएस अधिकारी ने बताया कि काॅलेज (College) तक तो उन्हें यूपीएससी की एबीसीडी भी पता नहीं थी। लेकिन समाचारपत्रों (Newspapers) के संपादकीय पन्ने पढ़ने के शौक ने यूपीएससी (UPSC) की परीक्षा को क्रैक करवा दिया।
IPS आकृति शर्मा
2016 बैच की आईपीएस आकृति शर्मा (IPS Aakriti Sharma) एसपी हमीरपुर के पद पर तैनात है। प्रोबेशन पीरियड के दौरान भी जनपद में सेवाएं दे चुकी हैं, पिता आर एम शर्मा भी हमीरपुर में बतौर एसपी रह चुके हैं। वो 2000 से 2003 तक एसपी रहे। आज बेटी हमीरपुर में सेवाएं दे रही हैं। आकृति शर्मा ऊना ताल्लुक रखती हैं। डॉ आकृति शर्मा ने 2014 में यूपीएससी की परीक्षा में देश भर में 137 वां रैंक हासिल किया था। 2016 में आईपीएस बनने का सपना पूरा हुआ। आकृति शर्मा ने टांडा मेडिकल कॉलेज से साल 2010 में एमबीबीएस की पढ़ाई भी पूरी की है। कुछ समय के लिए शिमला के आईजीएमसी में नौकरी भी की, लेकिन बाद में सपना पूरा करने में जुट गईं। आकृति शर्मा पढ़ाई में हमेशा अव्वल रही हैं। दसवीं की परीक्षा में वह पूरे हिमाचल में दूसरे नंबर पर पर रहीं थी। 12वीं में उन्हें प्रदेशभर में तीसरा स्थान प्राप्त किया था। आकृति की मां चाहती थी की बेटी डॉक्टर बने और पापा चाहते थे कि बेटी आईपीएस बने, बेटी न केवल मां की बात का मान बढ़ाया बल्कि आईपीएस बनकर पिता के सपने को भी साकार किया।
IFS डॉ. एलसी बंदना
हमीरपुर के वन विभाग में डीएफओ के पद पर भी बेटी अपनी जिम्मेदारी निभा रही हैं। डॉ वंदना मणिपुर राज्य से संबंधित हैं, जो 2012 बैच की आईएफएस अधिकारी हैं। इन्होंने वानिकी में पीएचडी की पढ़ाई डॉ वाईएस परमार यूनिवर्सिटी नौणी (सोलन) से की है। बेशक ही वो नार्थ-ईस्ट से ताल्लुक रखती लेकिन पढ़ाई हिमाचल से होने के वजह से उनका लगाव राज्य से रहा है। सेवाओं के दौरान अपना बेस्ट देने की कोशिश में जुटी है।
HAS अपराजिता चंदेल
एसी टू डीसी का पद बिलासपुर की बेटी ने संभाला है। HAS बनने के लिए 2013 में पहली बार प्रयास किया था, लेकिन सफलता हासिल नहीं हो पाई। इस असफलता के बावजूद अपराजिता ने उम्मीद नहीं छोड़ी। पांचवें प्रयास के दौरान अपराजिता(HAS Aprajita Chandel) ने परीक्षा में पहला स्थान हासिल कर लक्ष्य को हासिल किया है। इससे पहले वो आर्मी हेडक्वार्टर में बतौर सेक्शन ऑफिसर सेवाएं प्रदान कर रही थी। सेक्शन ऑफिसर (Section Officer) के पद मिल जाने के बाद भी अपराजिता ने अपने एचएएस के लक्ष्य को नहीं छोड़ा। नौकरी के साथ-साथ तैयारी भी करती रही। वो बिलासपुर की झंडूता पंचायत के एक छोटे से गांव भंजवानी से ताल्लुक रखती हैं। नर्सरी से दसवीं तक की शिक्षा डीएवी स्कूल बिलासपुर से हुई है। अपराजिता चंदेल ने 2006 में दसवीं की परीक्षा 93 प्रतिशत से पास की। जमा एक व दो की पढ़ाई डीएवी स्कूल हमीरपुर से पूरी की। इसके उपरांत अपराजिता ने वर्ष 2008 से 2012 एनआईटी हमीरपुर से कंप्यूटर साइंस इंजीनिरिंग में ग्रेजुएशन की।
DPROमीना बेदी
जिला की लोक संपर्क अधिकारी के पद पर भी बेटी मीना बेदी सेवाएं दे रही हैं। उन्होंने सूचना व जनसम्पर्क विभाग में 1987 में सेवाएं शुरू की थी। निदेशालय के अलावा अलग-अलग जगहों पर सहायक लोक सम्पर्क अधिकारी भी तैनात रही। जून 2021 में हमीरपुर जिला में डीपीआरओ (District Public Relation officer) के पद पर तैनाती मिली थी।
BDO अस्मिता ठाकुर
खंड विकास कार्यालय की बात की जाए तो वहां पर BDO के पद पर भी एक बेटी ही तैनात है। अस्मिता ठाकुर सरकारी स्कूल से शिक्षा ग्रहण कर एक अच्छे पद पर पहुंचकर उदाहरण बनकर उभरी हैं। अपने काम के प्रति निष्ठावान व ईमानदारी के लिए जानी जाने वाली अस्मिता ठाकुर (Asmita Thakur) प्रतिभावान हैं। पिता के सपने व दिखाए गए रास्ते पर चलकर वह आज इस मुकाम पर पहुंची हैं।
बीडीओ (Block Development officer) अस्मिता ठाकुर बताती हैं कि ग्रेजुएशन तक उन्होंने इस बारे में सोचा भी नहीं था लेकिन एक बार पिता ने बातों ही बातों में अलाइड की परीक्षा देने को कहा तो उसने उनका आदेश मान लिया और तैयारी शुरू कर दी