शिमला, 21 जनवरी : सूबे में पुलिस कांस्टेबल के वेतनमान से जुड़ा मामला गरमाता जा रहा है। संशोधित पे बैंड की मांग कर रहे कांस्टेबलों द्वारा गणतंत्र दिवस के उपलक्ष्य पर 26 जनवरी को शिमला के ऐतिहासिक रिज मैदान पर आत्मदाह परेड की धमकी देने के बाद सत्तारूढ़ भाजपा सरकार में हड़कंप मच गया है।
सरकार के निर्देश पर डीजीपी ने स्टेट सीआईडी से इस पूरे मामले की रिपोर्ट तलब की है। डीजीपी संजय कुंडू की तरफ से एडीजी सीआईडी को लिखे एक पत्र में कहा गया है कि वो इस पूरे मामले पर तथ्यों समेत रिपोर्ट प्रेषित करें। बताया गया है कि रिपोर्ट के बाद राज्य का गृह विभाग आगे की कार्रवाई के बारे में फैसला करेगा।
सीआईडी के अफसर उन कांस्टेबलों की तलाश कर रहे हैं, जिन्होंने आत्महत्या परेड की धमकी दी है। दरअसल सोशल मीडिया पर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के नाम लिखे पत्र में चेतावनी दी गई है कि यदि 25 जनवरी तक 2015 से भर्ती हुए जवानों को न्याय नहीं मिला तो वे 26 जनवरी के दिन रिज पर गणतंत्र परेड के साथ पुलिस के जवान वर्दी में आत्मदाह परेड भी निकालेंगे। कांस्टेबलों की ओर से जारी इस चेतावनी से पुलिस महकमे में भी अफरा-तफरी है।
खास बात यह है कि अभी सिर्फ धमकी देने वालों की तलाश पर जोर दिया जा रहा है, लेकिन संशोधित पे बैंड देने की आठ साल की मियाद को दो साल करने की मांग अब भी फाइलों में धूल फांक रही है। यह मुद्दा बीते 3 महीनों से तूल पकड़ रहा है।
गौर हो कि बीते नवंबर माह में सीएम जयराम ठाकुर के सरकारी आवास का घेराव कर सैकड़ों कांस्टेबल नाराजगी जताने पहुंचे और संशोधित पे बैंड देने की मियाद को आठ से घटाकर दो साल करने की मांग की थी। इस मांग पर मंथन के लिए सीएम ने अतिरिक्त मुख्य सचिव वित्त की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन तो कर दिया। मगर इस कमेटी ने सीएम के ऐलान के बाद भी एक कदम भी आगे नहीं उठाया।
इससे नाराज कांस्टेबलों ने न सिर्फ मेस बहिष्कार कर दिया, बल्कि बिलासपुर में एक रैली में भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के सामने पुलिस परिजनों ने प्रदर्शन तक कर डाला। मामला तूल पकड़ने पर पुलिस मुख्यालय ने आईजी एपी सिंह की अध्यक्षता में एक और कमेटी गठित कर दी, लेकिन अभी भी मामला ठंडे बस्ते में नजर आ रहा है। कांस्टेबलों को लग रहा है कि सरकार उनकी मांग का हल निकालने में कोई रुचि नहीं दिखा रही है।
कांस्टेबलों में भी इस बात को लेकर एक राय बन रही है कि बिना आंदोलन किए सरकार मांग नहीं मानेगी। पुलिस कर्मियों के व्हाट्सएप ग्रुपों में भी यह बात कही जा रही है। इसके चलते अब कांस्टेबल धीरे-धीरे अपनी मांग मनवाने के लिए सरकार पर दबाव बढ़ा रहे हैं।