शिमला, 17 जनवरी : हिमाचल और केंद्र सरकार का साझा उपक्रम सतलुज जल विद्युत निगम (एसजेवीएन) पड़ोसी देश नेपाल में 900 मेगावाट के अरुण-3 हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट का निर्माण कर रहा है। यह नेपाल का सबसे बड़ा हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट है। एसजेवीएन के अधिकारियों और कर्मचारियों की मेहनत, कार्यकुशलता व लग्न की बदौलत नेपाल की अरुण नदी पर निर्माणाधीन ये प्रोजेक्ट लक्ष्य से दो साल पहले यानी अप्रैल 2023 में बन कर तैयार हो जाएगा। केंद्र सरकार ने सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण इस प्रोजेक्ट को वर्ष 2025 में तैयार करने का लक्ष्य दिया था। लेकिन एसजेवीएन इस प्रोजेक्ट को समय से पहले पूरा करने की दिशा में बढ़ रही है और अप्रैल 2023 में प्रोजेक्ट से बिजली उत्पादन शुरू हो जाएगा। इस प्रोजेक्ट से एक साल में 4,018.87 मिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन होगा
नेपाल के पूर्व में संखुवासवा जिले में निर्माणाधीन अरुण-3 नेपाल का सबसे बड़ा हाइड्रोपॉवर प्लांट है। यह अरुण नदी पर स्थित है। इसका मुख्यालय काठमांडू से 500 किलोमीटर दूर खांडबरी-9 तुमलिंगटर में है। इस हाइड्रो प्रोजेक्ट में 70 मीटर ऊँचा गुरुत्व बांध और भूमिगत पावर हाउस के साथ लगभग 11.8 किलोमीटर की हेड रेस सुरंग नदी के बाएँ किनारे पर बन रही है। प्रोजेक्ट की कुल 4 इकाइयों में से प्रत्येक इकाई से 225 मेगावाट बिजली पैदा होगी।
प्रोजेक्ट का निर्माण कार्य पूरी तेजी के साथ चल रहा है। इस प्रोजेक्ट से बिजली 400 केवी डबल सर्किट ट्रांसमिशन लाइन के माध्यम से भारत के बिहार तक पहुंचाई जाएगी। यह हाइड्रो प्रोजेक्ट नेपाल व भारत के आर्थिक संपर्क को मजबूत करेगा।
प्रोजेक्ट की निर्माणाधीन साइट पर करीब दो हजार से अधिक लोग काम कर रहे हैं, जिनमें से 1700 टेक्नीशियन और नेपाली श्रमिक हैं। मई 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने सामरिक महत्व की इस 900 मेगावाट पावर प्लांट का शिलान्यास किया था। नेपाल में बन रहे सामरिक महत्व के इस प्रोजेक्ट की लागत 7000 करोड के लगभग आंकी गई है। निर्धारित अवधि से पहले प्राजेक्ट के तैयार होने से निगम को दो साल अतिरिक्त बिजली बेचने का मौका मिलेगा।
एसजेवीएन के प्रबंध निदेशक व अध्यक्ष नंद लाल शर्मा ने बताया कि एसजेवीएन ने अंतरराष्ट्रीय बोली प्रतिस्पर्धा में विदेशी कंपनियों को पछाड़ते हुए नेपाल के इस सबसे बड़े प्रोजेक्ट अरूण-3 को हासिल किया है। इस प्रोजेक्ट का निर्माण एसजेपीएन की पूर्ण स्वामित्व वाली अधीनस्थ कंपनी अरूण-3 पावर डेवलपमेंट कंपनी लिमिटेड (एसएपीडीसी) कर रही है। उन्होंने बताया कि इस प्रोजेक्ट के लक्ष्य से दो साल पहले तैयार होने से एसजेवीएन को दोहरा लाभ होगा। इससे प्रोजेक्ट के निर्माण की लागत को भी कम किया जा सकेगा। यह नेपाल के साथ-साथ भारत के लिए भी एक प्रतिष्ठित प्रोजेक्ट है और यह दो देशों के लोगों को और करीब लाएगा। नंद लाल शर्मा ने एसएपीडीसी के सीईओ अरूण धीमान के नेतृत्व में टीम के प्रयोसों की सराहना की।
नेपाल स्थित एसएपीडीसी के सीईओ अरूण धीमान ने बताया कि चेयरमैेन नंद लाल शर्मा के मार्गदर्शन से अत्यंत विषय भू-गर्भीय स्थिति में कड़ी चुनौेतियों के बीच इस प्रोजेक्ट को धरातल पर उतारा जा रहा है। प्रोजेक्ट का कार्य अंतिम चरण में है और वर्ष 2023 में इसे कमीशन किया जाना निर्धारित है। उन्होंने बताया कि प्रोजेक्ट को निर्धारित समय में पूरा करने के लिए कंपनी का प्रत्येक कर्मचारी अपनी भूमिका पूरी ईमानदारी से निभा रहा है। परियोजना की सफल कमीशनिंग नेपाल में जल विद्युत क्षेत्र में अधिक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
नेपाल में अरुण-3 प्रोजेक्ट का निर्माण कर रही एसजेवीएन की एसएपीडीसी कंपनी के चीफ जीएम सिविल डिजाइनर राकेश सहगल कहते हैं कि प्रोजेक्ट के काम में तेजी लाने के लिए निर्माणाधीन कंपनियों को 300 करोड़ की अतिरिक्त मशीनें व मजदूरों को लाने के लिए खर्च किए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस राशि को खर्च को करने के बाद निगम को 2 हजार करोड़ रुपये का अधिक आय कमाने का मौका मिल सकता है। प्रोजेक्ट से एक साल में 1000 करोड़ की आय होने की उम्मीद है। ऐसे में दो सालों की आय 2 हजार करोड़ तक पहुंच सकती है।
एसएपीडीसी कंपनी के चीफ फाइनेंस ऑफिसर जितेंद्र यादव ने बताया कि करार के मुताबिक 2025 में इसे बनाया जाना है। 2050 तक इसे निगम चलाएगा और बाद में इसे नेपाल सरकार को सौंपा जाना है। इस प्रोजेक्ट को यदि निगम पहले तैयार कर लेता है तो भी 2050 तक निगम ही चलाएगा। जितना पहले ये बनेगा, उतने ज्यादा समय के लिए निगम के पास बिजली उत्पादन का मौका रहेगा। इसे 2023 में तैयार करके कमीशन कर दिया जाए। इसके लिए जोरदार तैयारी चल रही है। इसमें बिजली उत्पादन शुरू होने पर केंद्र सरकार को भी लाभांश के रूप में जल्द ही लाभ मिल सकेंगा।
नेपाल में अरुण-3 हाइड्रो प्रोजेक्ट के पावर हाउस का काम देख रहे मुख्य अभियंता राकेश सिंह कहते हैं कि शुरू में यहां काम करना बेहद चुनौतीपूर्ण था। प्रोजेक्ट स्थल तक मशीनरी पहुंचाने के लिए सड़कें नहीं थी। एसजेवीएन ने पहले वाहन योग्य सड़कों का निर्माण किया। एसजेवीएन के सीएमडी नंद लाल शर्मा के मार्गदर्शन तथा यहां की सरकार व स्थानीय लोगों के सहयोग से हम अपने मुकाम तक पहुंच पाए हैं और दिसम्बर 2022 तक पावर हाउस की साइट का काम पूरा कर दिया जाएगा।
बांध स्थल के मुख्य अभियंता विकास शर्मा ने बताया कि हेड रेस टनल का 98 फीसदी काम पूरा हो चुका है। नदी को डाइवर्ट किया जा चुका है और मौजूदा समय में डैम पिट में काम चल रहा है। इस प्रोजेक्ट से अप्रैल 2023 को बिजली बनना शुरू हो जाएगी। कहा कि 900 मेगावाट का ये प्रोजेक्ट नेपाल की जमीन पर भारत का सबसे बड़ा निवेश है। भारत के लिए ये बहुत गर्व की बात है कि हम पड़ोसी देश में बहुत अच्छा काम कर रहे हैं।
सामरिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है प्रोजेक्ट
नेपाल की चीन से लगती सीमा से कुछ ही दूरी पर बना ये प्रोजेक्ट सामरिक दृष्टि से भी काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। ये प्रोजेक्ट नेपाल में अभी तक किसी भी देश का सबसे बड़ा निवेश है। यहां की भौगोलिक दृष्टि से देखे तो खुद में यहां पर प्रोजेक्ट बनाना और मशीनें पहुंचाना भी चुनौती था।
नेपाल के अति दुर्गम इलाके में बहेगी विकास की बयार
अरुण-3 प्रोजेक्ट का निर्माण नेपाल के संखुवासवा जिला में हो रहा है। परियोजना स्थल की चीन सीमा से दूरियां लगभग 100 किलोमीटर है। नेपाल के इस बेहद दुर्गम इलाके में सड़क,बिजली और अन्य मूलभूत सुविधाओं का भारी अभाव है। एसजेवीएन के प्रोजेक्ट से यहां विकास की बयार बहेगी। परियोजना स्थल तक सड़कों का जाल बिछा और पुलों का निर्माण हो रहा है। इसमें एसजेवीएन का भी अहम योगदान है।
सीएसआर यानी कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटीके तहत शिक्षा के क्षेत्र में एसजेवीएन महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहा है।
अराजक तत्वों के निशाने पर रहा अरुण-3 प्रोजेक्ट
नेपाल के लिए अति महत्वपूर्ण माने जाने वाला ये प्रोजेक्ट अराजक तत्वों के निशाने पर रहा है। एसजेवीएन ने वर्ष 2018 में जब इस प्रोजेक्ट को हाथ में लिया, तो असामाजिक तत्वों द्वारा परियोजना स्थल पर कई अवरोध खड़े करने की कई कोशिशें हुई। फरवरी 2019 में प्रोजेक्ट के बिजलीघर के पास सिसिलेवार तीन बम धमाके हुए, जिसमें जनरेटर और सुरंग से पानी निकालने वाला बूमर क्षतिग्रस्त हो गया था। वर्ष 2018 में यहां आईईडी धमाका किया गया था। तब परियोजना के कार्यालय की चाहरदीवारी नष्ट हो गई थी। हालांकि इन बम धमाकों में कोई जानी नुकसान नहीं हुआ। इन घटनाओं के बाद नेपाल सरकार ने इस प्रोजेक्ट की सुरक्षा कड़ी कर दी।
नेपाल में अरुण-3 प्रोजेक्ट निर्माण में डटे हैं ये अधिकारी
इस बिजली प्रोजेक्ट के निर्माण में अनुभवी अधिकारियों की टीम पूरी तन्मता व समर्पण के साथ नेपाल में डटी है। इन अधिकारियों का जज्बा सरहदों की रक्षा कर रहे सैन्य अधिकारियों से कम नहीं है। इन अधिकारियों में सीईओ एसएपीडीसी अरूण धीमान, चीफ जीएम सिविल डिजाइन राकेश सहगल, चीफ फाइनेंस ऑफिसर जितेंद्र यादव, मुख्य अभियन्ता प्लानिंग प्रदीप सिंह, मुख्य अभियन्ता कॉन्ट्रैक्ट विवेक शर्मा, मुख्य अभियन्ता इलेक्ट्रिकल प्रशांत शर्मा, मुख्य अभियंता सिविल (डैम साइट)- विकास शर्मा, मुख्य अभियंता सिविल (पावर हाउस)- राकेश सिंह और जी.एम. विपुल ठाकुर शामिल हैं। प्रोजेक्ट का पावर हाउस, सर्ज शाफ्ट, हेड रेस टनल डेम साइट इत्यादि का कार्य इन्हीं अधिकारियों के जिम्मे है।