पांवटा साहिब, 16 दिसंबर : हिमाचल व उत्तराखंड की सीमाओं को विभाजित करने वाले यमुनाब्रिज को अवैध खननकारियों से खतरा पैदा हुआ है। दरअसल, अवैध खनन को अंजाम देने वाले पुल के ठीक नीचे तक भी खुदाई करने का दुस्साहस करने लगे हैं। लिहाजा, अवैध खनन करने वालों के खिलाफ डीएसपी वीर बहादुर ने ही मोर्चा खोल दिया है। वीरवार तड़के डीएसपी के नेतृत्व में पुलिस की टीम ने पुल के ठीक नीचे रेड की। इस दौरान अवैध खनन में जुटे ट्रैक्टरों में हडकंप मच गया।
रेड के दौरान ड्रोन कैमरे से भी गतिविधियों पर नजर रखी जा रही थी। मौके पर ठीक पुल के नीचे अवैध खनन में जुटे एक ट्रैक्टर चालक के खिलाफ आईपीसी की धारा 379 का मामला दर्ज कर लिया गया है। शुरूआती जांच में पता चला कि ये ट्रैक्टर उत्तराखंड के कुल्हाल का है। चूंकि ये दो राज्यों की सीमा है, लिहाजा पुलिस को भी कार्रवाई करने में दिक्कत का सामना करना पड़ता था। मौके पर तीन अन्य ट्रैक्टरों को भी काबू किया गया है। साथ ही खनन विभाग से ये भी जानकारी मांगी गई है कि क्या ये तीन ट्रैक्टर लीज पर दिए गए भूखंड में ही माइनिंग कर रहे थे या नहीं।
रेड के दौरान करीब 10 ट्रैक्टर चालक मौके से फरार हो गए। पुलिस ने वन व खनन विभाग को माइनिंग लीज के तहत भूमि को चिन्हित करने का भी आग्रह किया है, ताकि पुलिस के एक्शन के दौरान कोई कन्फ्यूजन पैदा न हो। पांवटा साहिब के थाना प्रभारी को यमुना ब्रिज के आसपास अवैध खनन पर सख्ती से कार्रवाई करने के भी आदेश दिए गए हैं। पुलिस ने यह भी तय किया है कि इस इलाके में लगातार ड्रोन कैमरे से नजर रखी जाएगी।
उल्लेखनीय है कि पुलिस ने अवैध खनन के मामले में ये दूसरा मामला दर्ज किया है। रामपुर घाट के वन क्षेत्र में भी दो ट्रैक्टर खनन करते पाए गए थे। उल्लेखनीय है कि पुलिस ने कस्बे में चल रहे ट्रैक्टरों पर नंबर प्लेट लगाने को लेकर भी मुहिम चलाई थी। डीएसपी वीर बहादुर सिंह ने एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत करते हुए कहा कि दो दिन में अवैध खनन करने वाले तीन ट्रैक्टरों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। लगभग 6 ट्रैक्टरों को वन व खनन विभाग द्वारा जब्त किया गया।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने माना कि पुल के समीप अवैध खनन जारी रहने की वजह से ब्रिज को खतरा हो सकता है। डीएसपी ने ये भी माना कि अवैध खनन करने वाले सीमांत इलाका होने का फायदा उठाने की भी कोशिश करते हैं। जल्द ही इस मामले को पड़ोसी राज्य की पुलिस के समक्ष भी उठाया जाएगा, ताकि ज्वाइंट ऑपरेशन के तहत कार्रवाई हो सके। उल्लेखनीय है कि ये पुल ही हिमाचल की राजधानी को पड़ोसी राज्य उत्तराखंड की राजधानी को शाॅर्ट रूट से जोड़ता है, जबकि चंडीगढ़ से देहरादून जाने वालों का भी ये हाईवे पसंदीदा है।