शिमला, 15 दिसम्बर : बैंकों के निजीकरण की प्रस्तावित नीति के विरोध में देश भर के 10 लाख बैंक कर्मी अगले दो दिन यानी 16 व 17 दिसंबर को शिमला सहित देश भर हड़ताल करेंगे, जिससे बैंक शाखाओं में तालाबंदी रहेगी। इस हड़ताल की वजह से करोड़ों रूपये का लेन-देन प्रभावित होगा तथा उपभोक्ताओं को परेशानी का सामना करना पड़ेगा।
यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस (यूएफबीयू) के प्रदेश संयोजक नरेंद्र शर्मा ने बुधवार को शिमला में आयोजित पत्रकार वार्ता में बताया कि सरकार संसद के वर्तमान सत्र में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का निजीकरण करने के लिए लिए बैंकिंग कानून संशोधन विधेयक 2021 ला रही है। इस विधेयक के पारित होने से सरकार की 51 फीसदी हिस्सेदारी कम हो जाएगी और इससे बैंकिग व्यवस्था निजी हाथों में चली जाएगी। निजीकरण से बैंकों को भारी नुकसान होगा।
यह नुकसान अकेले बैंकों तक ही सीमित नहीं रहेगा बल्कि आम जनता पर भी इसका असर पड़ेगा। निजी क्षेत्र के बैंक पब्लिक को सरकारी योजनाओं के लिए ऋण नहीं देते, अगर हमारे बैंक भी निजी हो गए तो आम आदमी को ये ऋण नहीं मिल पाएंगे। इससे देश की आर्थिक विकास की गति कमजोर होगी।
उन्होंने कहा कि बैंकों को निजीकरण से बचाने के लिए यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस ने बैंक बचाओ-देश बचाओ का नारा दिया है। इस मुहिम के जरिए यूएफबीयू पब्लिक सैक्टर के बैंकों के अस्तित्व को बचाने के साथ देश की आम जनता के हितों को संरक्षित रखने की लड़ाई भी लड़ रहा है।
उन्होंने कहा कि पब्लिक सैक्टर बैंकों का देश की आर्थिकी में बड़ा योगदान रहा है। आजादी के बाद कृषि के क्षेत्र में बड़ा बदलाव आया है। ग्रीन रैवोल्यूशन आया है। रोजगार के अवसर बढ़े हैं। अब अगर सार्वजनिक बैंकों का निजीकरण किया जाएगा और उन्हें निजी कंपनियों के हाथों में सौंप दिया जाएगा तो इससे सबसे बड़ा नुकसान देश की जनता का होगा, क्योंकि प्राइवेट बैंकों का मकसद सिर्फ लाभ कमाना होगा ना कि लोगों की सेवा करना और भारतीय अर्थव्यवस्था बुरी तरह से चरमरा जाएगी।
उन्होंने कहा कि बैंक कानून संशोधन विधेयक 2021 के विरोध में 16 और 17 दिसंबर को बैंकों में सांकेतिक हड़ताल की जाएगी। इस दौरान शिमला में उपायुक्त कार्यालय के बाहर धरना प्रदर्शन भी किया जाएगा। अगर सरकार इस विधेयक को वापस नहीं लेगी तो हमारा प्रदर्शन और ज्यादा उग्र होगा।