नाहन, 07 दिसंबर : सोचिए, एक बेटी की उम्र 25 साल हो चुकी है। पैदाइश से उसका एक हाथ नहीं है। फिर अचानक ही ऐसा इत्तफाक हो कि उसे मैकेनिकल हैंड उपलब्ध करवाने के लिए मददगार मिल जाएं। कुछ कोशिशों के बाद ही मैकेनिकल हैंड उपलब्ध हो जाए। उस लड़की की खुशी का क्या ठिकाना होगा।
जी हां, यहां बात हो रही है कल्पना (परिवर्तित नाम) की। एक दिन वो मेडिकल काॅलेज अपनी सहेली के चैकअप के सिलसिले में पहुंची थी। वहां कल्पना की मुलाकात आयुर्वेदिक चिकित्सक ममता जैन से हो जाती है, जिनके पति मनीष जैन रोटरी क्लब के अध्यक्ष रह चुके हैं। साथ ही 1 जुलाई 2021 से रोटरी डिस्ट्रिक्ट 3080 के सहायक गर्वनर भी बनने जा रहे हैं। डाॅ. ममता ने कल्पना को लेकर अपने पति से बात की। बगैर सोचे ही इस बात का पता जुटाने की कोशिश की जाने लगी कि आखिर क्या विकल्प उपलब्ध हैं।
नाहन पीजी काॅलेज से बीएससी कर चुकी कल्पना (परिवर्तित नाम) के लिए मैकेनिकल हैंड का विकल्प रोटरी क्लब के सामने आया। इसके लिए 35 से 40 हजार के खर्च की भी आवश्यकता थी। क्लब के सदस्यों ने ये राशि जुटा ली। चंद रोज पहले ही कल्पना को कृत्रिम हाथ उपलब्ध हो गया। प्रतियोगितात्मक परीक्षाओं की तैयारी कर रही कल्पना की खुशी का कोई ठिकाना नहीं हैै। वो इस हाथ का इस्तेमाल दैनिक कार्यों में कर सकेगी।
हालांकि, पुख्ता तौर पर नहीं कहा जा सकता, लेकिन संभव है कि हिमाचल में पहली बार किसी को मैकेनिकल हैंड उपलब्ध हुआ है। ये जरूर तय है कि सिरमौर में पहली बार कोई इस तरह के मैकेनिकल हैंड का इस्तेमाल करेगा।
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उधर, रोटरी क्लब के पूर्व अध्यक्ष मनीष जैन ने विशेष बातचीत के दौरान कहा कि हरेक सदस्य के लिए वो बेहद ही उत्साहवर्द्धक पल थे, जब कल्पना को मैकेनिकल हैंड मिला। उन्होंने बताया कि इस तकनीक का इस्तेमाल पंचकुला में किया गया। उन्होंने कहा कि क्लब अब आगे भी यह प्रयास करने जा रहा है कि आधुनिक से आधुनिक अंगों को उपलब्ध करवाकर किसी का जीवन संवारा जाए। इसके लिए धन की व्यवस्था में कोई कमी नहीं आने दी जाएगी।
इसी बीच एमबीएम न्यूज नेटवर्क ने कल्पना (परिवर्तित नाम) से भी बात की। वो बोली, जन्म से ही बांया हाथ नहीं था। वो अक्सर सोचा करती थी कि क्या उसे भगवान हाथ देगा या नहीं। एक दिन वो अपनी सहेली के साथ मेडिकल काॅलेज गई थी। वहां डाॅ. ममता जैन से बात हुई। इसके बाद रोटरी क्लब ने प्रयास किया। उनके सामने मैकेनिकल हैंड का विकल्प रखा गया। कल्पना ने कहा कि मैकेनिकल हैंड के लिए उन्हें कोई खर्चा नहीं करना था। विकल्प को चुनने में कोई दिक्कत नहीं थी। कल्पना ने बताया कि इसके लिए किसी भी तरह की सर्जरी नहीं की गई है।