शिमला, 01 दिसम्बर : पुलिस जवानों के अपनी मांगों को लेकर सीएम आवास ओकओवर में बड़ी तादाद में एकत्रित होने की घटना ने सरकारी तंत्र की पोल खोल दी है। सूबे के इतिहास में पहली दफा ऐसा हुआ है कि सैंकड़ों पुलिस जवान वर्दी पहनकर सीएम आवास में जुटे हों। इस घटना से प्रदेश सरकार व आला अधिकारियों में हड़कंप मच गया था तथा यह कयास लगाए जा रहे थे कि कंडक्ट रूल्ज की अवहेलना पर सरकार पुलिस जवानों पर कड़ा एक्शन ले सकती है।
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने भी माना कि पुलिस जवानों का एक साथ ओकओवर में जुटना सही नहीं था और पुलिस जवानों को इस तरह अपनी बात नहीं रखनी चाहिए। उन्होंने आज पत्रकारों से अनोैपचारिक बातचीत में कहा कि पुलिस कर्मियों का इस तरह बड़ी तादाद में ओवओवर में आना कहीं न कहीं कंडक्ट रूल्स की अवहेलना है। हालांकि मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि ऐसे पुलिस कर्मियों पर किसी तरह की कार्रवाई नहीं की जाएगी, क्योंकि वे अपनी मांगों को लेकर ओकओवर आए थे। उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह की घटना की आगे पुनरावृति नहीं होनी चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार पुलिस कर्मियों की मांगों को लेकर गंभीर है और उनके सारे विषयों का अवलोकन कर कोई न कोई रास्ता निकालने का प्रयास किया जाएगा।
जयराम ठाकुर ने कहा कि पुलिस कर्मियों की भर्ती जिन सेवा नियमों के अंतर्गत हुई है, उसमें उनकी सहमति है और इसी आधार पर अदालत ने उनका मामला खारिज किया है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2013 से पहले पुलिस के भर्ती व सेवा नियम अलग थे, जबकि वर्ष 2015 में इन नियमों में परिवर्तन हुआ और नए परिवर्तित सेवा नियमों के तहत पुलिस कर्मियों की भर्ती हुई है, जिसमें उनकी अपनी स्वीकार्यता थी। जयराम ठाकुर ने यह भी स्पष्ट किया है कि पुलिस जवानों की भर्ती अनुबंध के दायरे में नहीं आती है, उनकी भर्ती नियमित आधार पर होती है।