शिमला, 11 नवंबर : दीपावली की रात डाउनडेल इलाके से मासूम बच्चे को उठा ले जाने वाले तेंदुए के पदचिन्ह मिले हैं। इसके आधार पर वन्यप्राणी विभाग तेंदुए की मूवमेंट का पता लगाने की कोशिश में जुटा हुआ है। फिलहाल विभाग तेंदुए को पकड़ने की कोशिश कर रहा है। इसमें सफलता न मिलने की स्थिति में ही उसका डेथ वारंट जारी किया जाएगा। दबी जुबान से ये बात मानी जा रही है कि तेंदुआ नरभक्षी हो चुका है। जल्द से जल्द उसका गिरफ्त में आना लाजमी है।
अब तक विभाग को तेंदुए से जुड़ा कोई भी सुराग नहीं मिल रहा था। ट्रैप कैमरे में अन्य वन्यप्राणी तो कैद हुए, लेकिन जिसकी तलाश थी, वो इसकी गिरफ्त में भी नहीं आया था। मगर अब विभाग ने ये माना है कि तेंदुए के पदचिन्ह मिले हैं। मूवमेंट के आधार पर विभाग ने तेंदुए की तलाश तेज कर दी है। उधर, मासूम बच्चे की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में वीरवार को इस बात की तस्दीक हो गई है कि उसे तेंदुए ने ही मारा था। अब तक बच्चे की मौत को लेकर भी कई तरह के संशय थे, मगर पोस्टमार्टम की रिपोर्ट ने सब कुछ साफ कर दिया है।
ये भी बताया जा रहा है कि मासूम बच्चे को मारने वाला तेंदुआ नर था। अब तक उसके साथ शावकों के होने की पुष्टि नहीं हुई है, क्योंकि शावक मादा के साथ ही विचरण करते हैं। बता दें कि 5 अगस्त को भी तेंदुए ने एक मासूम बच्चे को निवाला बना लिया था। इस घटना को लेकर मानवाधिकार आयोग ने तेंदुए को आदमखोर घोषित किया है, लेकिन वन्यप्राणी विभाग आयोग के आदेश की समीक्षा के बाद ही अगला फैसला लेगा। अंतिम समाचार तक 5 अगस्त के मामले में भी वन्यप्राणी विभाग ने डेथ वारंट जारी नहीं किया है।
5 अगस्त व 4 नवंबर की घटनाओं में समानता को लेकर भी असमंजस की स्थिति है। अब तक विभाग को इस अंतिम नतीजे पर पहुंचना बाकी है कि दोनों बच्चों को मारने वाला तेंदुआ एक ही है या फिर दो अलग-अलग तेंदुओ ने अलग-अलग घटनाओं को अंजाम दिया। जानकार बताते हैं कि अगर एक ही दिन तेंदुए की संलिप्तता पाई जाती है तो वन्यप्राणी विभाग भी डैथ वारंट जारी करने में देरी नहीं करेगा।
इसी बीच एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में वन्यप्राणी विभाग के एपीपीसीएफ अनिल ठाकुर ने माना कि तेंदुए के पग मार्क मिले हैं। उन्होंने कहा कि पहले तेंदुए को पकड़ने का प्रयास किया जाएगा। इसके बाद अगली कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। दो घटनाओं की समानता के बारे में पूछे गए सवाल पर एपीपीसीएफ ने कहा कि मिले तथ्यों का आकलन किया जा रहा है। इसके बाद ही कोई अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
क्या है डैथ वारंट…
दरअसल, अगर वन्यप्राणी आदमखोर हो जाता है तो ऐसी स्थिति में वन्यप्राणी विभाग द्वारा उसे मारने का निर्णय ले लिया जाता है। गत 5 से 7 सालों में दो मर्तबा शार्प शूटर्स की मदद से तेंदुओं को गोली मारी गई थी। इसमें एक घटना रामपुर वनमडल की थी, जबकि दूसरी घटना बिलासपुर के घुमारवीं की थी। हिमाचल में भी शार्प शूटर मौजूद हैं।
घुमारवीं में मौत के घाट उतारे गए तेंदुए को लेकर ये भी तर्क दिया गया था कि इससे पहले दुनिया में इतनी लंबाई का आदमखोर तेंदुआ नहीं मारा गया है। बता दें कि विभाग ने इसके लिए गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकाॅर्ड में भी घटना का जिक्र दर्ज करवाने का प्रयास किया था, लेकिन सफलता नहीं मिली थी।