नाहन, 22 अगस्त : हिमाचल प्रदेश में लोक संगीत व हिंदी गजल को एक नई दिशा देने वाले धर्मदत्त सहगल का आकस्मिक निधन हो गया है। लोक कलाकारों में सहगल के निधन की खबर से शोक की लहर है। करीब तीन दशकों से सहगल लोक संगीत के जगत से जुड़े हुए थे। म्यूजिक के शिक्षक होने के साथ-साथ वो संगीत की शिक्षा भी देते आ रहे थे। इसके लिए उन्होंने पक्का टैंक के समीप कला केंद्र भी खोला हुआ था।
19 अगस्त 2021 को शाम 5:00 बजे के आस-पास उन्होंने अपनी एक ग़ज़ल भी फेसबुक पर अपलोड की थी। मतलब, वो दो दिन पहले तक बिल्कुल ठीक थे।
कमाल का हारमोनियम बजाने में माहिर धर्मदत्त सहगल के शिष्यों की सूची लंबी है। वैसे वो संगड़ाह क्षेत्र के रहने वाले थे, लेकिन लंबे अरसे से नाहन में ही सेटल हो गए थे।
जानकारी के मुताबिक पूरी तरह से स्वस्थ धर्मदत्त सहगल की बीती रात तबीयत खराब हुई, इसके बाद उन्हें पीजीआई ले जाया गया था, जहां उनका निधन हो गया। कुछ समय से वह फेसबुक पर एक्टिव हुए थे। धीरे-धीरे उनके फॉलोअर्स की संख्या में इजाफा हो रहा था। बच्चों को बचपन से ही कला की शिक्षा देने में दिवंगत धर्म का सहगल माहिर थे।
खास बात ये है कि दिवंगत सहगल ने जीवन ने संगीत का व्यवसायीकरण नहीं किया। उनकी शिष्या शुभ्रा ने सोशल मीडिया में उनके आकस्मिक निधन की सूचना दी। इसमें कोई दो राय नहीं है कि सहगल के आकस्मिक निधन से शहर के संगीत क्षेत्र को भारी नुकसान हुआ है। बता दें कि वो एक रेडियो कलाकार भी थे।