नाहन, 18 अगस्त : 17-18 अगस्त 2020 को धारटीधार के लाल प्रशांत ठाकुर ने महज 24 साल की उम्र में मां भारती की रक्षा में अपने प्राणों की आहुति देकर शहादत को पा लिया था। अब ठीक एक साल बाद शहीद लाल को मरणोपरांत सेना मैडल से अलंकृत करने का ऐलान हुआ है। हालांकि आजादी की 75वीं वर्षगांठ पर ये फैसला दिल्ली में हो गया था, लेकिन परिवार को इसकी जानकारी एक दिन बाद यूनिट के जरिए हासिल हुई।
मंगलवार को शहीद प्रशांत ठाकुर की पहली पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रम में हर कोई नम आंखों से रणबांकुरे प्रशांत की शहादत को याद कर रहा था। मां-पिता के अलावा दादी भी पहली पुण्यतिथि पर लाल की शहादत पर गौरव महसूस कर रही थी। 23 सितंबर 2014 को 18 साल की उम्र में भारतीय सेना में भर्ती प्रशांत ठाकुर ने शहादत से पहले 6 साल तक कई मर्तबा जांबाजी दिखाई, मगर असल परीक्षा 17-18 अगस्त 2020 को उस समय सामने आई, जब बारामुला के घने जंगलों में सेना को आतंकवादियों के छिपे होने की सूचना मिली।
आतंकियों से सीधी मुठभेड़ में प्रशांत ठाकुर ने हार नहीं मानी। गोली लगने के बावजूद भी मुकाबला करते रहे। 29 आरआर में तैनात शहीद प्रशांत ठाकुर की तलाश की जाती रही। हालांकि आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता, लेकिन बताया ये भी गया था कि शहीद होने के बाद भी प्रशांत की पार्थिव देह ने भी बहादुरी का परिचय दिया था। पार्थिव देह से भी आतंकी डरते रहे थे। इसी कारण पार्थिव देह को जंगल से मुठभेड़ बंद होने के बाद निकाला गया था। घर पर मां रेखा देवी व पिता सुरजन सिंह ने प्रशांत के सिर सेहरा बांधने के सपने संजोए थे।
उधर, एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में सैनिक कल्याण बोर्ड के उपनिदेशक मेजर (रिटायर्ड) दीपक धवन ने कहा कि शहीद प्रशांत ठाकुर को मरणोपरांत सेना मैडल से अलंकृत किया गया है। उन्होंने कहा कि इस बाबत उन्हें आधिकारिक जानकारी प्राप्त हो गई है। उन्होंने कहा कि मंगलवार को शहीद की पहली पुण्यतिथि पर हर कोई देश भक्ति के रंग में रंगा हुआ था। इलाके के सैंकड़ों लोगों ने प्रशांत को पहली पुण्यतिथि पर श्रद्धासुमन अर्पित किए।