शिमला, 13 अगस्त : चाय बागानों को बेचने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाए जाने को लेकर हिमाचल विधानसभा में लाए गए हिमाचल प्रदेश भू-जोत अधिकतम सीमा अधिनियम 1972 संशोधन विधेयक पर सत्ता पक्ष व विपक्ष के कई विधायकों ने आपत्ति जताई है। इसके बाद गुरुवार को इस विधेयक को प्रवर समिति को भेजने का निर्णय लिया गया।
इस विधेयक को संशोधन के लिए राजस्व मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर ने सदन में पेश किया था। विधेयक में कहा गया था कि मौजूदा समय में सरकार की पूर्व अनुमति से चाय बागान के तहत भूमि उपयोग में परिवर्तन और भूमि के हस्तांतरण का प्रावधान है, लेकिन पिछले चार-पांच सालों में जब से यह प्रावधान आया है, तब से देखा गया है कि चाय बागान के तहत भूमि का उपयोग चाय बागान के अलावा अन्य उद्देश्यों के लिए किया गया है।
उन्होंने कहा कि प्रावधानों का सहारा लेकर बिक्री आदि के माध्यम से इन बागानों को स्थानांतरित किया जाना कानून की भावना और मंशा के खिलाफ है। कांग्रेस विधायक आशीष बुटेल ने विधेयक में संशोधन पर आपत्ति जताते हुए कहा कि जिन लोगों के पास सीलिंग से कम जमीन है, उन्हें चाय बागानों को उस सीमा तक जो कानून के तहत मान्य है रखने की इजाजत दी जानी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि यह मामला पहले ही सुप्रीम कोर्ट में लंबित है और हाईकोर्ट ने भी अपने एक फैसले में कहा है कि जिनके पास कम जमीन है, उन्हें चाय बागान में से जमीन रखने की इजाजत होनी चाहिए।
माकपा विधायक राकेश सिंघा ने कहा कि सरकार आज चाय बागानों से आय न के बराबर हो रही है। ऐसे में अगर कोई वहां पर सेब या अन्य कुछ और चीज उगाना चाहता है तो उसे इसकी इजाजत नहीं है। उन्होंने कहा कि चाय बागानों का इस्तेमाल के बदलाव के लिए इजाजत देने की शक्तियां हमेशा ही सरकार के पास होनी ही चाहिए। भाजपा विधायक अरुण कुमार ने कहा कि उनके हलके में चाय के छोटे-छोटे बागान है। कई परिवारों ने इन पर मकान बना दिए है व कइयों ने बेच दिए है। ऐसे में यदि कानून पास हो गया तो इन परिवारों को मुश्किलें आएगी।