नाहन, 13 जुलाई : विकास में जन सहयोग योजना के अंतर्गत 9 लाख रुपए की राशि के कथित गबन का मामला सामने आया है। सूत्रों के मुताबिक सिरमौर के जिला योजना अधिकारी (DPO) दिनेश गुप्ता ने यह राशि अपने बेटे व क्लर्क के खाते में ट्रांसफर (Transfer) कर दी।
प्रारंभिक जानकारी के मुताबिक डीपीओ ने साढ़े 7 लाख की राशि अपने बेटे (Son) के खाते (Account) में ट्रांसफर की, जबकि डेढ़ लाख रुपए की राशि डीलिंग क्लर्क (Dealing Clerk) के खाते में ट्रांसफर की गई। फिलहाल प्लानिंग विभाग (Planning department) ने जिला योजना अधिकारी दिनेश गुप्ता को सस्पेंड (Suspend) कर दिया है, साथ ही उनका मुख्यालय शिमला (Shimla) तय किया गया है।
इसी बीच उपायुक्त आरके गौतम ने एसी-टू-डीसी प्रियंका चंद्रा को मामले में जांच अधिकारी (Inquiry Officer) नियुक्त किया है। जांच अधिकारी को फैक्ट फाइंडिंग (Fact-Finding) रिपोर्ट सौंपने के आदेश दिए गए हैं। इस जांच में ये पता किया जायेगा कि क्या कार्यालय के लिपिक (Clerk) की इस हेरफेर में कोई भूमिका थी या नहीं।
सूत्रों का यह भी कहना है कि यह मामला पिछले कुछ दिनों से चल रहा है। भनक लगने के बाद जिला योजना अधिकारी(District Planning Officer) द्वारा पूरी राशि सरकार के खाते में वापस भी ट्रांसफर कर दी गई है। मामला सामने आने के बाद विभाग (Department) में खलबली मची हुई है।
सूत्रों ने एमबीएम न्यूज नेटवर्क को यह भी बताया कि इस मामले को लेकर योजना विभाग के संयुक्त निदेशक भी चंद रोज पहले नाहन आए थे। शुरुआती जांच (Initial Inquiry) में ही इस बात की तस्दीक हो गई कि जिला योजना अधिकारी द्वारा सरकारी धन(Government Funds) को अपने बेटे व डीलिंग क्लर्क के खातों में ट्रांसफर किया गया था। इसके बाद ही डीपीओ को सस्पेंड (Suspend) किया गया है।
गौरतलब है कि योजना के तहत राशि की मंजूरी उपायुक्त (Deputy Commissioner) के स्तर पर होती है। इसके बाद जिला योजना अधिकारी द्वारा इस राशि को लाभार्थी (Beneficiary) को ट्रांसफर किया जाता है। सूत्रों ने यह भी कहा कि इस मामले में विभाग को एक शिकायत भी मिली थी। इसी बीच प्रशासन (Administration) ने भी सरसरी तौर पर जांच में इस बात को पाया था कि वित्तीय अनियमितता (Finical Misappropriation) हुई है।
बताया जा रहा है कि उपायुक्त ने सोमवार को फैक्ट फाइंडिंग जांच (Inquiry) के आदेश दिए हैं। सूत्रों ने एमबीएम न्यूज़ नेटवर्क को यह भी बताया कि प्रशासन ने सरकारी खातों को लेकर भी जिला योजना अधिकारी से जानकारी मांगी थी। लेकिन इसमें उन्होंने कुछ रिकॉर्ड (Record) को छुपा लिया। इसके बाद प्रशासन ने सीधे बैंकों (Banks) से ही खातों को लेकर जानकारी जुटाई है। मामले में अगर कार्यालय के कर्मी की मिलीभगत पाई जाती है तो कार्रवाई उपायुक्त के स्तर पर अमल में लाई जाएगी।
प्लानिंग विभाग के संयुक्त निदेशक सुरेंद्र पॉल ने पुष्टि करते हुए कहा कि जिला योजना अधिकारी को सस्पेंड कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि जांच जारी है साथ ही इस बात की भी तस्दीक (Confirmation) की कि गबन की गई राशि को वापस सरकार के खाते में सफर (Transfer) कर दिया गया है। क्योंकि राशि का गबन करने वाले अधिकारी को इस बात का अंदाजा हो गया था कि इस मामले में जांच शुरू हो चुकी है।
संयुक्त निदेशक ने साफ तौर पर कहा कि यह गबन का ही मामला है। उन्होंने इस बात को भी माना कि वह खुद भी जांच के सिलसिले में शिमला से नाहन आए थे।
उधर उपायुक्त आरके गौतम ने एमबीएम न्यूज़ से बातचीत में इस बात की तस्दीक की है कि एसी-टू-डीसी को फैक्ट फाइंडिंग जांच के आदेश दिए गए हैं। डीसी ने कहा कि विभाग से पत्र (Letter) मिला है जिसमे डीपीओ कार्यालय के कर्मचारियों (Employees) की भूमिका को लेकर जांच कराने को कहा गया था इसके बाद जांच के आदेश दिए गए है।
दीगर है कि एमपी व एमएलए फंड (MLA fund) के अलावा सरकारी योजनाओं की राशि का आबंटन जिला योजना अधिकारी कार्यालय माध्यम से किया जाता है।