रामपुर/शिमला, 10 जुलाई : 10 जुलाई 2021 के सूर्यास्त से पहले ‘‘रियल लाइफ’’ का ‘‘राजा’’ वीरभद्र सिंह पंचतत्व में विलीन हो गया। इसी के साथ राज्य का एक स्वर्णिम अध्याय भी समाप्त हुआ है। ठीक प्रस्तावित समय पर पूरी आन-बान-शान से अंतिम यात्रा शुरू हुई। शाम 4 बजे के बाद बेटे विक्रमादित्य ने नम आंखों से पिता को मुखाग्नि दी। पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंत्येष्टि में राज्य के कोने-कोने से कांग्रेस के अलावा अन्य दलों के नेता भी अंतिम दर्शन करने रामपुर पहुंचे थे।
वीरवार (7 जुलाई 2021) तड़के 3ः40 बहम् महूर्त में अंतिम सांस ली। आने वाली पीढ़ियां शायद ही विश्वास कर पाएं कि तीन दिन तक अंतिम दर्शन करने वालों की कतारें लगी रही। गौरतलब है कि राज्य सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्री के निधन पर तीन दिन का राजकीय शोक घोषित किया था। तीन दिन तक चले अंतिम दर्शन के सिलसिले ने ये साबित कर दिया है कि बेशक ही आजादी के बाद राजाओं की उपाधि को खत्म कर दिया हो, लेकिन वीरभद्र सिंह हिमाचल में रियल लाइफ के राजा था।
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सुबह से ही पदम पैलेस के परिसर में हजारों की भीड़ में एक महिला ऐसी भी थी, जो रो-रोकर ये बता रही थी कि बचपन में उनके बगीचे में काम करती थी, मगर कभी भी मालिक व नौकर में अंतर नहीं समझते थे। ऐसा महसूस हो रहा है कि आज पिता का निधन हो गया।
शायद, विक्रमादित्य…
हालांकि हर कोई इस बात को बखूबी जानता था कि राजा वीरभद्र सिंह हिमाचल के लाखों लोगों के दिलों की धड़कन है, लेकिन अब प्रमाणिक तौर पर भी साबित हो गया है कि वास्तव में ही वो राजा थे, जिन्हें प्रजा दिलों जान से चाहती थी। विधायक बेटे विक्रमादित्य को भी शायद ही इस बात का अंदाजा रहा होगा कि लगभग 60 साल के राजनीतिक जीवन में आज भी इतनी तादाद में लोग उन्हें चाहते हैं। यही नहीं, सबसे बड़ी बात ये थी कि युवाओं के दिलों में भी वीरभद्र सिंह राज कर रहे थे। हर कोई उन्हें सातवीं बार मुख्यमंत्री देखना चाहता था। यह अलग बात है कि होनी को कुछ ओर ही मंजूर था।
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विक्रमादित्य का वचन…
मुखाग्नि देने के बाद बेटे विक्रमादित्य ने कहा कि वो अपने पिता के पदचिन्हों पर चलेंगे। ये जीवन की सच्चाई है कि जो संसार में आया है, उसे एक न एक दिन जाना ही है। विक्रमादित्य ने कहा कि पिता जी का प्रदेश के देवी-देवताओं के प्रति अटूट विश्वास था। उन्होंने कहा कि जीवन का लक्ष्य केवल यही है कि वो वीरभद्र सिंह जी के चलाए रास्ते पर ताउम्र चलेंगे। उन्होंने कहा कि वो वचन देते हैं कि जिस तरीके से पिता ने समूचे हिमाचल का समान विकास की राह दिखाई, उसी पर चलेंगे।