हरिपुरधार/सुरेंद्र चौहान
मौसम के बदलते मिजाज और ऋतु परिवर्तन के चलते मुख्य रूप से हिमाचल प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में इन दिनों प्रकृति की विशेष सुंदरता के बीच पहाड़ों में अनेकों स्थानों पर गद्दी समुदाय और पहाड़ी क्षेत्रों के अनेकों भेड़ पालक अपने मवेशियों के साथ खूबसूरत वादियों में पहाड़ों का रुख करके ऊंचाइयों तक पहुंचने का मादा रखते है।
हरिपुरधार के जंक्शन पॉइंट पर आवागमन खुशहाली में लगाते हैं चार चांद
पर्यटक की दृष्टि से घाटी का मनोरम दृश्य सुंदरता को चार चांद लगा देता है। फिर भी इस चौराहे की कहानी कुछ खास अदाओं में व्यक्त की जा सकती है। कारण यह है कि चारों ओर से इधर उधर आने जाने के लिए कोई रास्ते व पगडंडी नहीं है। इसी सूरत में आवागमन का चौतरफा केंद्र बिंदु हरिपुरधार बस स्टॉप ही है।
आवाजाही की दृष्टि के परिपेक्ष्य में ऊपरी क्षेत्रों के लिए इन दिनों प्रकृति के सुंदर पहाड़ों पर निकलने वाले भेड़ पालकों का रोजाना आवागमन रहता है। जो यहां की संस्कृति और सभ्यता को जिंदा रखकर, मनोरम सुंदरता को चार चांद लगाते हैं।
कठिन भौगोलिक स्थिति का डटकर मुकाबला
धूप छाँव वर्षा हो या सूखा, फिर भी भेड़ बकरियों को बेफिक्र जान की परवाह किए बिना घने जंगलों की ओर निकलते है और अपने मवेशियों को सुरक्षित रखने व उनके पालन पोषण के लिए दुर्गम क्षेत्रों में ही अपना जीवन यापन करते हुए, जलवा बिखेरते हैं। हमें इन पर नाज है।