शिमला,10 दिसंबर : पंचायतीराज व स्थानीय निकायों के चुनाव की दहलीज पर हिमाचल पहुंच चुका है। चूंकि ऐसी खबर आ रही है कि सरकार ने 14 दिसंबर को मंत्रिमंडल की बैठक बुलाई है। लिहाजा, इस तारीख के बाद ही चुनाव आचार संहिता लागू होने की प्रबल संभावना है। राज्य निर्वाचन आयोग ने चुनाव के मद्देनजर आचार संहिता को लेकर भी तैयारी पूरी कर ली है।
करीब सवा महीना पहले ही चुनाव आचार संहिता की अधिसूचना जारी कर ली गई थी। चुनाव की तारीखें जारी होते ही ये अधिसूचना प्रभाव में आ जाएगी। चुनाव को लेकर काफी हद तक यह साफ हो गया है कि ये पार्टी सिंबल पर नहीं होंगे। साथ ही शहरी निकायों में अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के परोक्ष चुनाव को लेकर भी कोई संकेत नहीं हैं। यह अलग बात है कि चुनाव की अधिसूचना जारी होने के बाद सौ फीसदी तस्वीर साफ होगी। आयोग ने चुनावी खर्च को लेकर भीे निर्धारण कर दिया है।
चूंकि चुनाव आचार संहिता लागू होने के बाद मंत्रिमंडल की बैठक भी नहीं हो सकती, लिहाजा सरकार इसे पहले ही करना चाहेगी। इसका कारण ये भी है कि बैठक में चुनाव के राजनीतिक फायदे के मद्देनजर कई फैसेले लिए जा सकते हैं।
जिला परिषद व नगर निगम के पार्षदों के लिए खर्च की अधिकतम सीमा एक लाख तय हुई है। वहीं, नगर परिषद के उम्मीदवार 75 हजार रुपए से अधिक नहीं खर्च पाएंगे। नगर पंचायतों में ये सीमा 50 हजार की होगी। अहम बात यह है कि पंचायतीराज संस्थाओं के चुनाव को लेकर आरक्षण रोस्टर निर्धारित नहीं हुआ है। लिहाजा, उम्मीदवारों में असमंजस की स्थिति है। जिला परिषदों के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के अलावा शहरी निकायों के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के पद का भी आरक्षण साफ नहीं हुआ है।
अलबत्ता, नगर परिषदों का आरक्षण तय हो जाने के बाद उम्मीदवारों ने प्रचार भी शुरू कर दिया है। कुल मिलाकर आने वाले सप्ताह अब चुनावी रंग में रंगने वाले हैं।