बिलासपुर, 7 दिसम्बर : देखने मे आया है कि कोविड़-19 के चलते अन्य रोगों से पीडि़त लोगों के साथ भेदभाव हो रहा है। वहीं, प्रदेश में हो रही कोविड़ की जांच भी संदेह के घेर में है। यह आरोप आज मीडिय़ा को जारी बयान में संदीप सांख्यान ने लगाए हैं। उन्होंने बताया कि वह प्रदेश सरकार के स्वास्थ्य मंत्री व मुख्यमंत्री से मांग करते हैं कि स्वास्थ्य सेवाओं में कोविड़-19 के अलावा भी अन्य रोगी हैं जिनकी जांच ठीक से नहीं हो पा रही है।
उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि जिला बिलासपुर के गांव अप्पर मानवां में 4 दिसम्बर की रात को करीब 9 बजे एक 4 वर्षीय बच्चे को पेट दर्द की शिकायत हुई। इस बच्चे को माता-पिता के द्वारा रीजनल अस्पताल बिलासपुर में ले जाया गया। रिजनल अस्पताल में मौजूद चिकित्सक ने बच्चे का प्राथमिक परीक्षण करने के बाद इन्दिरा गांधी मेडिकल कॉलेज शिमला स्नोडन के लिए रेफर कर दिया और इस बीच बच्चे का कोविड़-19 का रेपिड टेस्ट भी रात साढ़े 10 बजे करवा लिया गया था जिसकी रिपोर्ट नेगेटिव आई थी। बच्चे के अभिभावकों ने बच्चे को बिलासपुर रिजनल बिलासपुर से इंदिरा गांधी मेडिकल अस्पताल शिमला रात करीब डेढ़ बजे पहुचाया। आईजीएमसी शिमला में पता चला कि सम्बंधित बीमारी का चिकित्सक वहां पर मौजूद नहीं है और आईजीएमसी शिमला से बच्चे को पीजीआई चंडीगढ़ रेफर कर दिया गया।
ठीक उसी रात की अगली सुबह यानी 5 दिसम्बर को करीब साढ़े 5 बजे सुबह इस बच्चे के माता पिता अपने बच्चे सहित पीजीआई पहुंच गए। यहां प्राथमिक उपचार के बाद चिकित्सकों ने बच्चे को फिर से कोविड़-19 जांच करवाने को कहा तो अभिभावकों ने बताया कि बच्चे की 4 दिसम्बर को जांच हो चुकी है और टैस्ट नैगेटिव पाया गया है। लेकिन फिर भी यहां पुन: जांच की गई। जिसकी रिपोर्ट पॉजिटिव पाई गई। ऐसे में 24 घंटे से भी कम समय में दो अलग अलग संस्थानों की अलग अलग रिपोर्ट सवाल खड़े कर रही है।
उधर, रिपोर्ट पॉजिटिव पाए जाने के बाद पीजीआई ने बच्चे के अभिभावकों को बच्चे को आइसोलेशन वार्ड में रखने को कहा, लेकिन बच्चे के माता पिता ने बच्चे को आइसोलेशन वार्ड में रखने के लिए असहमति जताई और बच्चे को बिलासपुर अपने घर लेकर वापिस आ गए और अब खुद इन्होंने होम क्वारंटाइन कर लिया, जबकि बच्चे को कोविड 19 के कोई लक्षण अभी भी नहीं है।
अब प्रश्न यह उठता है कि बिलासपुर अस्पताल में किया गया कोविड 19 की रिपोर्ट अगर नेगेटिव आई तो ठीक 11 घंटे बाद पीजीआई में किए गए कोविड 19 के टैस्ट की रिपोर्ट पॉजिटिव कैसे आ गई और ऐसे में इस चार वर्षीय बच्चे और इसके माता पिता को बिलासपुर से शिमला और शिमला से चंडीगढ़ एक ही रात में बीमारी की हालत में जाना बड़ा परेशानी का सबब बन गया।
उन्होंने कहा कि रिपोर्ट ऐसे में तो इस प्रतीत होता है कि कोविड़-19 के चलते अन्य बीमारियों से परेशान रोगियों को भी प्रताडि़त किया जा रहा है और कोविड 19 के टैस्टिंग भी संदेह के घेरे में आ चुकी है। यह एक बड़ा जांच का विषय है ऐसे में प्रदेश सरकार को इस बारे में संज्ञान लेना चाहिए।