शिमला, 06 दिसम्बर: कृषि कानून के विरोध में किसानों के आठ दिसम्बर के प्रस्तावित भारत बंद में वामपंथी संगठन भी शामिल होंगे। इन संगठनों ने भारत बंद पर हिमाचल में चक्का जाम के साथ धरने,प्रदर्शन, व जेल भरो आंदोलन का एलान किया है। ऐसे में परिवहन व्यवस्था के चरमराने के आसार हैं और रोजमर्रा के काम के लिए घरों से बाहर निकलने वालों को परेशानी झेलनी पड़ सकती है।
सीटू, हिमाचल किसान सभा, जनवादी महिला समिति, डीवाईएफआई, एसएफआई, दलित शोषण मुक्ति मंच के कार्यकर्ता आठ दिसम्बर को प्रदेश के जिला मुख्यालयों में प्रदर्शन करेंगे। इन संगठनों ने कहा है कि किसानों के आंदोलन के समर्थन में प्रदेश भर के मजदूरों,किसानों,महिलाओं,युवाओं,छात्रों व सामाजिक तथा आर्थिक रूप से पिछड़े तबकों द्वारा आन्दोलन तेज किया जाएगा तथा भारत बंद के तहत आठ दिसम्बर को गांव व शहरों में किसान,मजदूर व आम जनता पूर्ण कार्य बंद करेंगे। इस दौरान चक्का जाम कर विरोध जताया जाएगा।
सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा व अन्य संगठनों ने हिमाचल प्रदेश के व्यापार मंडलों, नागरिक व सामाजिक संगठनों से किसानों के भारत बंद को सफल बनाने की अपील की है। उन्होंने कहा है कि किसान अन्नदाता हैं व समाज के हर तबके का पालन-पोषण करते हैं। किसान आंदोलन को राजनीति से ऊपर उठकर देखने की आवश्यकता है क्योंकि किसान देश की बुनियाद हैं।
उन्होंने कहा कि किसानों की जायज़ मांगों पर संयुक्त राष्ट्र संघ व कैनेडा सरकार तक उनका समर्थन कर चुकी है। दुनिया भर में इस आंदोलन को भारी समर्थन मिल रहा है। उन्होंने जनता से अपील की है कि सभी लोग किसानों के समर्थन में खड़े होकर भारत बंद को सफल बनाएं।
मेहरा ने कहा है कि किसान आंदोलन से स्पष्ट हो गया है कि मोदी की भाजपा सरकार पूंजीपतियों व नैगमिक घरानों के साथ है व उनकी मुनाफाखोरी को बढ़ाना चाहती है।
उन्होंने कहा है कि केंद्र सरकार किसान विरोधी नीतियां लाकर किसानों को कुचलना चाहती है। केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीनों नए कृषि कानून पूर्णतः किसान विरोधी हैं। इसके कारण किसानों की फसलों को कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के जरिए विदेशी और देशी कंपनियों और बड़ी पूंजीपतियों के हवाले करने की साज़िश रची जा रही है।