हमीरपुर, 22 नवंबर : काबिलियत तो इंसान में इतनी है कि जन्न्त भी झुका दें, एक बार पहचान लो काबिलियत (Talent) फिर तो कोई भी दंग हो जाये। यह बात हमीरपुर के रहने वाले पंकज पर सटीक बैठती है। पंकज के हुनर को जिसने भी देखा तारिफ किए बगैर नहीं रह सका। तारिफ करें भी क्यो ना, पंकज द्वारा बनाए गए खिलौने (Toys) को देख हर कोई दंग रह जाता है। एमबीएम न्यूज ने पहले भी पंकज द्वारा बनाए गए खिलौनो पर एक खबर प्रकाशित थी। इसके बाद पंकज का अदभुत टैलेंट (Amazing talent) सामने आया था।
एक बार फिर पंकज ने अपने हुनर का परिचय देते हुए विश्व के सबसे खूबसूरत स्टेडियम धर्मशाला (Dharmshala Cricket Stadium) को अपने हुनर की बदौलत तराशते हुए उसका मॉडल (Model) तैयार कर दिया है। इसे बनाने में किसी ठोस चीज का इस्तेमाल नहीं किया गया है। बस कमाल है कागज, कॉडबोर्ड व हुनर का।
धर्मशाला स्टेडियम का मॉडल असल स्टेडियम से मिलता है। जैसे असल स्टेडियम (Stadium) में लाइट रात को जगमगााती है वैसे हीं पंकज द्वारा बनाए गए इस मॉडल में भी लाइटस (Lights) जगमगाती है। अब पंकज ने इस काम को अपने रोजगार (Employment) के रूप में स्थापित करने का मन बनाया है।
पिछले दिनो कोरोना (Pandemic) माहामारी के बीच पंकज की नौकरी (Job) भी चली गई। पंकज बद्दी में नौकरी करता था। लॉकडाउन (Lockdown) में घर आना पड़ा। घर बैठे-बैठे बोर हो रहे थे तो मन में विचार आया कि खिलौना गाडिय़ां बनाई जाएं। सोचा और शुरू कर दिया नया काम। अभी तक कई गाडिय़ां बना चुके हैं। देखने वाले दंग रह जाते हैं।
हमीरपुर की पंचायत ग्वारडू के गांव कुसवाड़ के पंकज कुमार के हाथों में ऐसी कला है कि कागज, लकड़ी के साथ बनाए गए वाहनों को देखकर कोई अंदाजा भी नहीं लगा सकता है कि यह असली हैं या नकली। उसने अपने हाथों से ट्राला, टैंकर, टिपर, ट्रैक्टर, घर, मंदिर भी बनाए हुए हैं।
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पंकज आत्मनिर्भर भारत बनाने की कड़ी में एक संदेश देते हुए दूसरे युवाओं के लिए भी प्रेरणास्रोत बने बने हैं। पंकज की मानें तो उसे बचपन से ड्राइंग का काफी शौक रहा है और जब भी समय लगता था तो ड्राइंग पर हाथ आजमा लेता। पंकज ने बताया कि खिलौना गाडिय़ों (Toys Vehicle)को बनाने में दो से तीन दिन लग जाते हैं और इनमें असली गाडिय़ों की तरह आटोमैटिक लाइटें लगाई गईं तो खिड़की से लेकर दरवाजे भी हूबहू असली गाडिय़ों की तरह लगाए गए हैं। उन्होंने बताया कि फेसबुक के माध्यम से इन गाडिय़ों की मार्केटिंग की है। लोगों के गाडिय़ां खरीदने के फोन भी आए हैं।