शिमला, 3 नवम्बर : भजन गायक उमंग शर्मा कांगड़ा से संबंध रखने वाले बड़का भाऊ उर्फ संजय शर्मा की समाजसेवा (Social service) से इस कद्र प्रभावित हुए कि उनके लिए “निकले बड़का भाऊ” नाम से गाना ही बना डाला। हिमाचल के ऊना के बंगाणा के रहने वाले उमंग शर्मा ने समाजसेवी बड़का भाऊ के पुण्य कार्यों (Saintly works) को अपने सुरों में बांधने की ठानी और सोलन के कुनिहार में इस गाने की शूटिंग की। लगभग 8-10 मिनट के हिंदी गाने में बड़का भाऊ के सामाजिक कार्यों (Social Service) को वीडियो के रूप में दिखाया गया है। उन्होंने अपने 6 वर्षीय दिव्यांग बच्चे के इलाज के लिए जुटाए पैसे भी इस हिंदी गाने को तैयार करने में खर्च कर दिए।
जगरातों में भजन गाकर आमदनी (Income) अर्जित करने वाले उमंग शर्मा को इस बात का मलाल नहीं है कि अब बच्चे का इलाज कैसे होगा। गौर करने वाली बात ये है कि उमंग शर्मा की अब तक एक बार भी बड़का भाऊ से मुलाकात नहीं हुई है। राजधानी शिमला में आज आयोजित एक प्रेसवार्ता में उमंग शर्मा ने बताया कि वो समाजसेवी संजय शर्मा की गरीबों, लाचार और सिस्टम के सताये लोगों के लिए सेवा से बहुत प्रभावित हुए हैं। उमंग कहते हैं कि वह आर्थिक(financial) रूप से टीम बड़का भाऊ का सहयोग करना चाहता था, जो उनके लिए मुमकिन (Possible) नहीं था, क्योंकि कोरोना काल से भजन गायकी और गाने बजाने का काम बंद है।
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उन्होंने बताया कि सबसे पहले इंटरनेट पर मौजूद जानकारी जुटाई, उसके बाद एक गाना लिखा। हालांकि एक समाजसेवी के बारे में गाना लिखना मुश्किल था। उन्होंने गाना खुद लिखा, जिसका बाद रिकॉड करवाने के लिए उन्हें सोलन के कुनिहार में एक रिकॉडिंग स्टूडियो (Recording Studio) संचालक का सहयोग मिला। उन्होंने कहा कि इंटरनेट में मौजूद वीडियो और न्यूज पर कटिंग से गाना बनाया, जिसमें माता-पिता के साथ साथ पत्नी का भरपूर सहयोग मिला। अपने स्पेशल बच्चे (Special Children) के इलाज के लिए जुटाए कुछ पैसे इस गाने को बनाने पर लगा डाले।
उमंग ने नम आंखों (Moist Eyes) से कहा कि मेरे बेटे का इलाज आज नहीं तो कल हो ही जाएगा, लेकिन बड़का भाऊ जिस तरह गरीबों (Poor) की मदद (Help) कर रहे हैं, ऐसे में उनके परिवार का दर्द बहुत छोटा है। मीडियो के सामने उमंग, उनकी पत्नी अर्चना शर्मा और 6 साल का बेटा भी मौजुद थे। अर्चना कहती हैं कि हम गरीब हैं और हमारे लिए इतना ही मुमकिन था आगे हम अपनी गायकी की कमाई से आने वाले एक बड़े हिस्से को टीम बड़का भाऊ को बतौर सहयोग देंगे, ताकि वो जरूरतमंदों (Needy People) के काम आ सके।