बिलासपुर, 30 अक्तूबर : एशिया भर में मानव निर्मित (human made) सबसे बड़ी कृत्रिम गोविंद सागर झील (Govind Sagar Lake) में इस वर्ष मत्स्य उत्पादन में 30 प्रतिशत वृद्धि दर्ज़ की गई है। जहां पिछले वर्ष 163 मीट्रिक टन मछली का उत्पादन हुआ था। वहीं इस वर्ष अब तक 195 मीट्रिक टन मछली का उत्पादन हुआ है, जिसमें 30 मीट्रिक टन की बढ़ोतरी देखने को मिली है। गोविंद सागर झील में उत्पादन बढ़ने से मछुआरों के चेहरों पर रौनक लौट आई है। जबकि प्रदेश के अन्य जलाशयों पौंग डैम, कोलडैम, चमेरा प्रोजेक्ट में अभी मत्स्य उत्पादन कम हुआ है।
गोविंद सागर झील में मत्स्य उत्पादन में यह बढ़ोतरी चार वर्षो के बाद दर्ज की गई है। विभाग के अधिकारियों की मानें तो इस बार अप्रैल माह में मछुआरों ने देरी से काम करना शुरू किया था। गौरतलब है कि कीरतपुर-नेरचौक फोरलेन सड़क के निर्माण कार्य के दौरान अनेक स्थानों से मिट्टी गोविंद सागर झील में बहकर आने से गाद बढ़ जाने के चलते मछली उत्पादन में गिरावट का मुख्य कारण रहा है। गोविंद सागर झील करीब 80 किलोमीटर भू भाग में फैली हुई है। झील में करीब साढ़े 7 हजार मछुआरे अपनी रोजी-रोटी का निर्वहन करते हैं।
गोविंद सागर झील में विभिन्न प्रजाति की मछलियां पाई जाती हैं, जिसमें राहुए कतला, सिल्वर कार्प प्रमुखता से शामिल हैं। जिले की लगभग 12 सहकारी सभाएं मत्स्य कारोबार से जुडी हैं, जिससे हजारों लोगों को रोजगार मिला हुआ है। उधर इस संबंध में मत्स्य विभाग के निदेशक सतपाल मेहता का कहना है कि गोविंद सागर झील में इस वर्ष अभी तक पिछले वर्ष की अपेक्षा 30 मीट्रिक अधिक मत्स्य उत्पादन हुआ है। जहां पिछले वर्ष अब तक 163 मीट्रिक टन मछली का उत्पादन हुआ था, वही इस वर्ष अब तक 195 मीट्रिक टन मछली का उत्पादन हुआ है, जिसमे 30 मीट्रिक टन की बढ़ोतरी देखने को मिली है।
हालांकि अप्रैल माह में मछुआरों ने देरी से काम शुरू हुआ था। उन्होंने कहा कि विभाग द्वारा गोविंद सागर झील में बेहतर मत्स्य उत्पादन के लिए 70 से 100 एमएम का बडा मछली की बीज डाला गया था, जिसके बेहतर परिणाम अब सामने आने लगे हैं। गोविंद सागर झील के मत्स्य उत्पादन में बढोतरी दर्ज हुई हैं। उन्होंने कहा कि गोविंद सागर झील की अपेक्षा पौंग डैम व चमेरा प्रोजेक्ट में मत्स्य उत्पादन कम हुआ है।
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