शिमला, 20 अक्तूबर : आप घर से बाहर निकलते समय अपनी सहुलियत के लिए एटीएम/डेबिट (ATM / Debit) व क्रेडिट कार्ड अपनी पाॅकेट में रखते हैं। एटीएम कार्ड का प्रचलन अधिक है। आम से लेकर खास आदमी कैश निकालने के लिए जेब में एटीएम कार्ड अवश्य रखता है। मगर इसके इस्तेमाल के दौरान बेहद सतर्क रहने की जरूरत है। साइबर ठगों ने ऐसा तरीका इजाद कर लिया है कि जेब में रखे एटीएम कार्ड से भी वे अब बड़ी आसानी से पैसा निकालकर ठगी को अंजाम दे रहे हैं। हिमाचल में भी इस तरह के कुछ मामले सामने आ चुके हैं। पिछले दिनों भाजपा विधायक की बेटी भी इसी तरह की ठगी की शिकार हुई थी। एटीएम क्लोनिंग के जरिए उसके एटीएम से शातिरों ने हरियाणा के हिसार से 22 हजार की रकम निकाली थी।
ठगी का यह तरीका हाईटैक है और साइबर अपराधी खुद को जोखिम में डाले बिना बड़ी चतुराई से लोगों की मेहनत की पूंजी पर हाथ साफ कर रहे हैं। वे हाईटैक वाईफाई स्किमर (Hi-Tech WiFi Skimmer) डिवाइस के जरिए एटीएम व क्रैडिट (ATM and Credit) कार्डों से पैसा उड़ा रहे हैं। स्किमर डिवाइस वो होती है जिसमें एटीएम कार्ड को स्वाइप (Swipe)कर डेटा चुरा लिया जाता है। इस डिवाइस को एटीएम व स्वैपिंग मशीन पर इस तरह चिपकाया जाता है ताकी एटीएम मशीन में कार्ड स्वैप करने वाले की यह पकड़ में न आ सके। हैरत में डालने वाली बात यह है कि एटीएम में स्किमर डिवाइस नहीं होने के बाद भी साइबर एक्सपर्ट (Cyber expert) के कार्ड का डेटा और पिन चोरी करना मुमकिन हो गया है। साइबर एक्सपर्टों ने जब इसकी जांच की तो पाया कि एटीएम/डेबिट कार्ड का डेटा एटीएम बूथ से कुछ दूरी पर रखे एक स्किमर डिवाइस से चुरा लिया गया। यानी एटीएम कार्ड या क्रेडिट कार्ड का डेटा सीधे किसी स्किमर डिवाइस के संपर्क में बिना आए भी चोरी हो सकता है। ये डिवाइस किसी एटीएम या पीओएस मशीन (Pos machine)से 100 मीटर के रेडियस की दूरी से भी आपके कार्ड की डिटेल ले लेगा। इस डिवाइस की कीमत 70 से 75 हजार तक बताई गई है।
साइबर क्रिमिनल (Cyber criminal)किसी भी एटीएम बूथ से 10 मीटर या 100 मीटर के रेडियस (परिधि) में इस डिवाइस को लगाकर डेटा चुरा सकते हैं। इस डिवाइस में एक मिनी एंटीना (Mini antenna) भी है। इस एंटीना को ओपन करने पर ये आधुनिक स्कीमर डिवाइस 100 मीटर के रेडियस में एटीएम या पीओएस मशीन में डाले गए कार्ड का डेटा चुरा लेती है। अगर एंटीना बंद है तो 10 मीटर के रेडियस (Radius)से डेटा चुरा सकती है। यही वजह है कि अब साइबर अपराधों की घटनाओं में ज्यादातर मामले एटीएम, डेबिट या क्रेडिट कार्ड की क्लोनिंग कर ठगी के ज्यादातर मामले सामने आ रहे हैं। अधिकतर मामलों में पीड़ितों का यही कहना है कि इन्होंने अपने कार्ड की जानकारी किसी को नहीं दी और न ही कहीं एटीएम मशीन में कार्ड को स्वाइप करवाया। फिर भी उनके एटीएम से हजारों रूपये गायब हो गए।
साइबर एक्सपर्ट बताते हैं कि किसी भी एटीएम मशीन, रेस्तरां या ऐसे स्थानों पर जहां अक्सर लोग कार्ड से कैश निकालने आते हैं या फिर पेमेंट करते हैं। उन स्थानों पर साइबर क्रिमिनल इस डिवाइस को बैग में छुपाकर रख लेते हैं। इसमें ऐसा खास सॉफ्टवेयर (Software) है जो किसी भी एटीएम टर्मिनल या दुकानों पर लगीं पीओएस मशीनों से कनेक्ट (Connect) हो जाता है। इस डिवाइस को बैग में या कार में लेकर कोई साइबर क्रिमिनल किसी एटीएम से 10 से 15 मीटर दूर खड़े हो जाते हैं। इसके बाद डिवाइस को अपने लैपटॉप (laptop) से कनेक्ट कर देते हैं। अब जैसे ही एटीएम बूथ में गया कोई व्यक्ति अपने कार्ड से पैसे निकालता है तो ये डिवाइस एटीएम कार्ड के सभी डेटा के साथ पिन नंबर की भी डिटेल चुरा लेती है। ये डेटा डिवाइस की मेमोरी (Memory)में स्टोर हो जाता है। जिसके जरिए कार्ड की क्लोनिंग कर साइबर क्रिमिनल कभी भी आपके बैंक खाते से पैसे निकाल लेते हैं।
इस डिवाइस के बारे में जानकारी जुटाने वाले साइबर सैल शिमला के एएसपी नरवीर राठौर बताते हैं कि वाई-फाई स्किमर डिवाइस (Wi-fi skimmer device)के आने से कहीं भी ठगी हो सकती है। लिहाजा एटीएम/डेबिट कार्ड के अधिक इस्तमोल से बचना चाहिए। लोग अपने एटीएम कार्ड या क्रेडिट कार्ड का पासवर्ड समय-समय पर बदलते रहें। इससे खतरा कम होगा। इसके अलावा कार्ड के बजाय स्कैन कोड के जरिए ऑनलाइन पेमेंट करें जिससे डेटा चोरी नहीं होगा।
उन्होंने कहा कि इस वर्ष हिमाचल (Himachal) में एटीएम कार्ड का क्लोन बनाकर ठगी के पांच मामले दर्ज हुए हैं। ये मामले आईएसबीटी शिमला (ISBT Shimla), सोलन और कांगड़ा में सामने आए हैं। इन सभी मामलों में कार्ड धारकों को 80 हजार रूपये की चपत लगी है।