नाहन, 15 अक्तूबर: घर के संस्कारों की बदौलत कच्ची उम्र में ही बच्चे समाज के प्रति अपने दायित्व (Responsibility) को समझने लगते हैं। दरअसल बुधवार को एक खबर प्रकाशित की गई, जिसमें बताया गया कि एक सहायक लाइनमैन (Assistant lineman) ने मरणोपरांत नेत्रदान (Eye Donation) की औपचारिकताएं (Formalities) पूरी की हैं। इसके बाद आज एक ऐसा मामला सामने आया, जो वाकई ही काबिले तारीफ है। 17-18 साल की उम्र में जब सही तरीके से दुनियादारी का नहीं पता होता, उस समय शिलाई उपमंडल के कोटीबौंच गांव के कृष्ण प्रताप सिंगटा (Krishan Pratap Singta) ने नेत्रदान का फैसला ले लिया था।
23 मार्च 1999 को जन्में कृष्ण ने हालांकि देहदान (Body donation) करने का फैसला लिया था, लेकिन 2017 में नाहन अस्पताल में इस बाबत कोई प्रणाली नहीं थी। उन्हें बताया गया था कि देहदान शिमला या पीजीआई (PGI) में ही किया जा सकता है। साथ ही उस समय देहदान के लिए उम्र पूरी नहीं थी, लिहाजा 18 सितंबर 2017 को शिलाई अस्पताल में नेत्रदान की औपचारिकता को पूरा किया। उन्होंने बताया कि वो देहदान को भी तैयार हैं, मौका मिलते ही इसकी भी औपचारिकताएं पूरी करना चाहते हैं। उनका कहना था कि परिवार की भी सहमति हासिल कर चुके हैं।
बता दें कि कृष्ण प्रताप सिंगटा नाहन काॅलेज के एक बेहतरीन स्टुडेंट रहे हैं। पिछले कई सालों से देश की नामी प्रतियोगितात्मक परीक्षाओं (Competitive examinations) की तैयारी में लगे हुए हैं।
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