नाहन 4 अक्टूबर: हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जनपद के राजगढ़ उपमंडल में गाय (Cow) का एक अनोखा मातृत्व (Unique Motherhood) सामने आया है। आप यह जानकर हैरान होंगे कि अंतिम समय तक भी वह गर्भ (womb) में मर चुकी बछड़ी (Calf) को खुद से अलग नहीं करना चाहती थी। हालांकि मादा बंदरों (Monkey) में ऐसी प्रवृत्ति देखी जाती है, लेकिन गाय में इस तरह की जिद्द (Stubborn) देखकर खुद चिकित्सक भी हैरान रह गए। यह तो काबिल पशु चिकित्सा अधिकारियों (Veterinary officers) की कोशिश थी कि कामयाब सिजेरियन (Cesarean) कर दिया गया, इससे गाय (Cow) को नया जीवन (New life) हासिल हुआ है।
राजगढ़ के बागी गांव में विक्रम कंवर ने पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ मनोज कौशिक (Dr. Manoj Kaushik) को पशु चिकित्सालय धामला से घर आकर गाय की जांच करने का आग्रह किया। इस मामले में विचित्र (quaint) बात यह थी कि अमूमन गाय का गर्भकाल (Pregnancy period) 9 महीने का होता है, लेकिन यहां गाय 11 महीने से प्रसूति नहीं कर पा रही थी। मौके पर ही पशुपालन विभाग की टीम ने गाय की बच्चादानी (Uterus) को खोलने का प्रयास किया, लेकिन इसमें सफलता (Success) नहीं मिली। आखिर में सिजेरियन करने का फैसला लिया गया। चिकित्सक उस समय दंग (Surprised) रह गए जब बमुश्किल सिजेरियन के माध्यम से बच्चेदानी (Uterus) से करीब 40 किलो वजनी बछड़ी (Calf) को निकाला गया। हालांकि बछड़ी गर्भ में ही दम तोड़ चुकी थी, लेकिन सफल सर्जरी (Successful Surgery) की वजह से गाय को नया जीवन मिल गया। यह सर्जरी करीब 5 घंटे तक चली। हैरान करने वाली बात यह भी थी कि गर्भ में ही शिशु की मौत होने के बावजूद भी गाय सामान्य व्यवहार (Normal behave) करती रही, लेकिन अब कुछ दिन से हालत ठीक नहीं थी। बता दें कि धामला पशु चिकित्सालय के कर्मी पहले भी कई दुर्लभ शल्य चिकित्सा (Rare Surgery) को अंजाम दे चुके हैं।
उधर पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ मनोज कौशिक ने बातचीत के दौरान कहा कि गाय का गर्भकाल 9 महीने का होता है, लेकिन 11 महीने तक भी प्रसूति न होने के बावजूद गाय सामान्य बर्ताव कर रही थी। उनका कहना था कि बच्चादानी से सिजेरियन के माध्यम से बछड़ी (Calf) को निकालने में काफी मशक्कत का सामना करना पड़ा, यहां तक की स्टाफ के दो सदस्यों ने इसे काफी जोर लगाकर बाहर निकाला। उनका कहना था कि यह बता पाना काफी मुश्किल है कि गर्भ में शिशु की मौत कब हुई होगी, लेकिन इतना तय है कि काफी समय हो गया था, जिस स्थिति में शिशु को निकाला गया है, वह सामान्य तौर पर देखने को नहीं मिलते हैं।
खास बात
इस मामले के खास (Significant) बात ये है कि गाय की स्थिति देखकर चिकित्स्कों ने ओबरे (Cow shed) को ही ऑपरेशन थिएटर (Operation theatre) में तबदील किया गया, क्योंकि गाय को इस हालत में अन्य स्थान पर शिफ्ट (Shift) करना नामुमकिन था। लिहाजा ऐसे में सर्जरी (Surgery) से जुडी सुविधाओं को गांव में जुटा पाना आसान नहीं था। बता दे कि ये शल्य चिकित्सा शनिवार को की गई थी।