कुल्लू 4 अक्टूबर : देश और प्रदेश में कोरोना महामारी के कारण पर्यटन कारोबार भी काफी प्रभावित हुआ है, लेकिन अनलॉक (Unlock) के बढ़ते चरणों और सरकार व पर्यटन विभाग द्वारा जारी गाइडलाइंस (Guideline) के अनुसार अब पर्यटन कारोबार धीरे- धीरे पटरी पर लौटना शुरू हो गया है।
जिला कुल्लू उपमण्डल बंजार की तीर्थन और जीभी घाटी में भी करीब सात माह के बाद वीकेंड पर पर्यटकों की खूब आवाजाही देखने को मिल रही है। अभी इस वीकेंड (Weekend) पर गत तीन दिनों में तो अपेक्षा से भी ज्यादा पर्यटकों ने बंजार की वादियों में दस्तक दी है। शुक्रवार और शनिवार को जलोड़ी दर्रा में बाहरी राज्यो से आए पर्यटकों के सैंकड़ों वाहनों की लम्बी कतारें लगी जिस कारण यातायात अवरुद्ध जैसी स्थिति पैदा हो गई। इस वीकेंड में हजारों की तादाद में बाहरी राज्यों के अलावा हिमाचल के अन्य जिलों के पर्यटकों ने घाटी में दस्तक दी है। पर्यटकों की बढ़ती आमद को देखकर स्थानीय पर्यटन कारोबारियों के चेहरे खिल गए हैं और उन्हें राहत पहुंची है।
जलोड़ी दर्रा, सरेलसर झील, रघुपुर फोर्ट, जीभी और तीर्थन घाटी में आजकल बाहरी राज्यों पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, दिल्ली, तमिलनाडु, कर्नाटका आदि राज्यों के हजारों सैलानी दस्तक दे रहे हैं। जो यहाँ पर आकर खूबसूरत प्राकृतिक स्थलों का भ्रमण कर रहे हैं और यहाँ की शुद्ध आबोहवा का खूब लुत्फ उठा रहे हैं। हालांकि तीर्थन घाटी का विश्व धरोहर ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क और छोई झरना अभी तक पर्यटकों की आवाजाही के लिए प्रतिबंधित है लेकिन जीभी घाटी और जलोड़ी दर्रा के आसपास पर्यटक विना किसी रोक टोक के कहीं पर भी घूमने फिरने का आनन्द ले रहे हैं।
जलोड़ी दर्रा हिमाचल प्रदेश के कुल्लु जिला में हिमालय पर्वत की चोटी पर स्थित एक ऊँचा दर्रा है, जिसकी ऊँचाई समुन्द्र तल से करीब से दस हजार फुट है। यह दर्रा इनर सराज और बाह्य सराज के मध्य स्थित कुल्लु जिला के बंजार और आनी उपमण्डल को आपस में जोड़ता है। जलोड़ी दर्रा से पूर्व की ओर बाह्य तथा पश्चिम की ओर इनर सराज का खूबसूरत नजारा देखने को मिलता है। यहाँ तक सड़क मार्ग द्वारा आसानी से पहुँचा जा सकता है। यह दर्रा सर्दियों के मौसम में भारी बर्फबारी होने के कारण अक्सर मध्य दिसम्बर माह से फरवरी माह तक वाहनों की आवाजाही के लिए बन्द रहता है।
जलोड़ी दर्रा, जिभी, शोजागढ़, रघुपूर गढ़, खनाग, टकरासी और सरेउलसर झील जैसे प्राकृतिक सौंदर्य से लवरेज खूबसूरत स्थल वर्षों पहले ही साहसिक पर्यटन के नक्शे पर आ चुके हैं। यह स्थल अंग्रेजी शासन के समय से ही देशी विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करते रहे हैं। यहाँ का प्राकृतिक सौंदर्य अंग्रेजों को भी खूब भाता था जो अक्सर यहाँ पर आते जाते रहते थे, यहां पर उन्होंने उस समय शोजागढ़ में अपने ठहरने के लिए एक गेस्ट हाउस का निर्माण किया था, जहाँ पर ठहराव के पश्चात वह आगे शिमला का सफर तय करते थे। यह गेस्ट हाउस आज भी यहाँ भ्रमण करने वाले अतिथियों के लिए हर समय उपलब्ध रहता है। इसके अलावा जीभी, घ्यागी, सोझा, खनाग आदि स्थानों पर स्थानीय लोगों ने इस समय अनेकों निजी होमस्टे, रेसोर्ट, कैप्म साइट गेस्ट हाऊस जैसी पर्यटन इकाईयां पर्यटकों के लिए बना रखी है।
जलोड़ी दर्रा में माता बूढ़ी नागनी का एक भव्य मन्दिर और सराय भी बनी हुई है, इसके अलावा यहाँ पर चाय नाश्ते के लिए कुछ ढाबे स्टॉल भी मौजूद हैं जहां पर पर्यटकों के लिए खाने पीने की सामग्री आसानी से मिल जाती है। वहीं दुसरी ओर जलोड़ी पास के दाईं तरफ को दो किलोमीटर के फासले पर रघुपूर गढ़ स्थित है जो काफी ऊँचाई पर होने के कारण पर्यटकों के लिए विशेष आकर्षण रखता है। यहाँ की शानदार हरियाली युक्त ढलाने और यहाँ से चारों ओर को दिखने वाला मनमोहक नजारा पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। जलोड़ी से उतर दिशा की तरफ 5 किलोमीटर आगे एक अत्यंत ही खूबसूरत झील स्थित है जिसे सरेउलसर झील कहते है। यह झील समुद्र तट से करीब 3560 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। इस झील के आसपास खरशु और रखाल के बड़े बड़े पेड़ है जो बहुत ही सुहावने लगते है। जलोड़ी जोत से इस झील तक पैदल ही पहुंचा जा सकता है। इस झील के निर्मल जल की एक विशेषता यह है कि इसमें घास पत्ती का कोई तिनका नजर नहीं आता है क्योंकि यहाँ पर आभी नाम की चिड़ियाँ आसपास ही रहती है जब भी कोई घास का तिनका पानी में तैरता हुआ देखती है तो वह तुरन्त उसे उठा कर पानी से बाहर निकाल लेती है। इन खुबसूरत स्थलों में ग्रामीण व साहसिक पर्यटन, शीतकालीन खेलों, स्कीइंग, हाईकिंग, ट्रेकिंग, पर्वतारोहण व अन्य साहसिक खेलों की आपार सम्भावनाएं है।
जीभी घाटी पर्यटन विकास एसोसिएशन के अध्यक्ष ललित कुमार का कहना है कि घाटी में पर्यटन धीरे धीरे से रफ्तार पकड़ रहा है। इनका कहना है कि विभाग की गाइड लाइन के मुताबिक पर्यटन को सुचारू रूप से चलाने बारे भरसक प्रयास किए जा रहे है। आजकल वीकेंड के समय 70% तक बुकिंग क्षमता बढ़ी है।