नाहन, 03 अक्तूबर : तकरीबन दो सप्ताह से जनपद में एक पोर्टेबल बैग (Portable Bag) खासी चर्चा में है। तर्क है कि इसका इस्तेमाल दुकान के तौर पर भी किया जा सकता है। साथ ही कैंपिंग (Camping) में भी उपयोगी है। चूंकि इस पोर्टेबल बैग “मेरा बैग-मेरा घर” (“My bag-my house”) को प्रशासन ने ही प्रमोट किया है, लिहाजा चर्चा में आना लाजमी है। हर किसी के जहन में दो सवाल उठ रहे हैं। आखिर इसकी कीमत क्या है, क्यों प्रशासन इसकी खुलकर ब्रैंडिंग (Branding) कर रहा है। ब्रैंडिंग को लेकर सवाल इस कारण है कि इसका उत्पादन कालाअंब की एक निजी फार्मा कंपनी (Pharma Company) की सिस्टर कंसर्न (Sister Concern) द्वारा किया जा रहा है।
इन सवालों का जवाब एमबीएम न्यूज नेटवर्क ने तलाशने का प्रयास किया तो पता चला कि लगभग 32 किलो के पोर्टेबल बैग की कीमत 40 हजार रूपए है। वाटर प्रूफ टैंट (Water Proof Tent) में दो कुर्सियां व टेबल के साथ-साथ पंखे व लाइट की व्यवस्था की गई है। बिजली के लिए सोलर पैनल (Solar Panel) भी लगाया गया है। इसके अलावा 25 व 35 हजार के दो अन्य किस्म के बैग भी बनाए जा रहे हैं। निजी कंपनी के इस प्रोडक्ट को मेड इन सिरमौर (Made in Sirmour) का टैग देने के पीछे की वजह ये है कि ये आईडिया सिरमौर के उपायुक्त आरके परूथी का था। चंद रोज पहले उपायुक्त कार्यालय के परिसर में ही इस बैग का ट्रायल (Trial) किया गया था। कंपनी की दलील यह भी है कि ये रेट 25 फीसदी छूट के बाद तय किए गए हैं। यानि इसे सही माना जाए तो पोर्टेबल बैग की कीमत 55 हजार रूपए है।
बता दें कि चौगान मैदान में तीन दिन की प्रदर्शनी (exhibition) लगाई गई है, इसमें टैंट को डिस्प्ले (Display) करने का ही मकसद नजर आ रहा है। निजी कंपनी द्वारा सेनिटाइजर (Sanitizer) भी बेचे जा रहे हैं। दरअसल, हर कोई यही सोच रहा कि स्वयं सहायता समूह (Self Help Group) द्वारा प्रोडक्ट तैयार किए जा रहे हैं, लेकिन असल में कालाअंब की एक निजी कंपनी द्वारा उत्पादन किया जा रहा है। बता दें कि कंपनी अधिनियम 2013 की धारा-135 के तहत हरेक औद्योगिक इकाई को कार्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिब्लिटी (Corporate social responsibility) के तहत औसत शुद्ध लाभ में 2 प्रतिशत का योगदान सामाजिक कार्यों (Social Activities) में अनिवार्य है। सालाना लाभ 5 करोड़ होने की स्थिति में ही सीएसआर (CSR) जरूरी होता है। यह खर्च तीन साल के औसत लाभ का कम से कम दो प्रतिशत होना चाहिए।
उधर एथेंस कंपनी (Athens Company) के अनिल शर्मा ने बेहद ही सहजता से कहा कि आपदा प्रबंधन में इसका इस्तेमाल हो सकता है। उनका यह भी कहना था कि कोरोना संकट के दौरान कंपनी ने कई सामाजिक कार्यों में बढ़-चढक़र हिस्सा लिया। शर्मा ने कहा कि बैग की कीमत डिस्काउंट के बाद तय की गर्ई है। शर्मा ने यह भी कहा कि मेड इन सिरमौर के टैग जैसी कोई बात नहीं है। सरकार भी मेक इन इंडिया (Make in India) को प्रोत्साहित कर रही है।
उधर उपायुक्त डॉ.आरके परूथी ने केवल इतना कहा कि नवीन सोच (Innovative Idea) है। साथ ही प्रोडक्ट में अलग तरह की विशिष्टता (Specialty) है।
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